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किसानों ने सामूहिक खेती से किया केला का बंपर उत्पादन, पर नहीं मिल रहा बाजार

लातेहार सदर प्रखंड के हेसलवार गांव के ग्रामीणों ने जिला में वैकल्पिक खेती की एक नई इबादत लिखते हुए सामूहिक खेती के तहत केले का बंपर उत्पादन किया. पहले ही प्रयास में केले की हुई अच्छी पैदावार से जहां किसान काफी उत्साहित हैं, वहीं उनके समक्ष अब केले की फसल बेचने की चिंता उभर आई है.

लातेहारः जिला का सदर प्रखंड का हेसलबार गांव काफी पिछड़ा गांव के रूप में जिला भर में चिन्हित है. पूरी तरह आदिवासी बहुल इस गांव में लगभग 50 परिवार निवास करते हैं. गांव के लोगों के आजीविका का मुख्य साधन एकमात्र कृषि ही है. गांव के लोग पहले मात्र पारंपरिक खेती पर ही आधारित रहते थे. गांव में आने जाने का भी साधन नहीं रहने के कारण यह गांव समाज से काफी कटा हुआ था. आज भी इस गांव में पहुंचने के लिए दो नदियों को पार करना पड़ता है. नदियों में पुल नहीं होने के कारण गांव तक वाहनों का आगमन बड़ी मुश्किल से हो पाता है.
प्रखंड विकास पदाधिकारी की पहल पर ग्रामीणों में आया बदलाव गांव की बदहाली की खबर लातेहार के प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक को लगने के बाद वह पिछले साल गांव का भ्रमण करने गए थे. इस दौरान ग्रामीणों से रूबरू होने के पश्चात उन्होंने इस गांव को गोद ले लिया और यहां के ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती की ओर अग्रसर किया. प्रखंड विकास पदाधिकारी के मार्गदर्शन में यहां के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से केले की खेती आरंभ की. गांव के ग्रामीणों ने पिछले साल लगभग चार एकड़ भूमि में लगभग छब्बीस सौ केले के पौधे लगाए गए हैं
प्रखंड विकास पदाधिकारी के मार्ग दर्शन में यहां के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से केले की खेती आरंभ की. गांव के ग्रामीणों ने पिछले साल लगभग चार एकड़ भूमि में लगभग 26 सौ केले के पौधे लगाए. 1 वर्ष के अंतराल में केले के पौधे तैयार हुए और उनमें बंपर फल लगे. केले का पहले प्रयास में ही अच्छा उत्पादन होने से ग्रामीणों का हौसला काफी बुलंद हो गया. परंतु ग्रामीणों के समक्ष अब यह समस्या उत्पन्न हो गई कि इतने बड़े पैमाने पर उत्पादित हो गए केले को वह लोग कहां बेचे? 1000 क्विंटल से अधिक केले है तैयार हेसलवार गांव में किसानों की ओर से लगाए गए केले के बागान में 1000 क्विंटल से भी अधिक के लिए पूरी तरह तैयार हो गए हैं. इन केलो की बिक्री के लिए किसान अब चिंतित हो गए हैं. किसान हरिहर सिंह ने कहा कि उनके केले अब पूरी तरह तैयार हो गए हैं. परंतु जब तक केला मंडी तक नहीं पहुंच जाए तब तक कितना मुनाफा होगा यह कहना मुश्किल है. वर्तमान में तो केला को मंडी तक पहुंचाना ही समस्या बना हुआ है
वहीं, किसान रविंद्र सिंह ने कहा कि अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष उन लोगों को कम से कम 6 लाख रुपए की आमदनी होगी. परंतु अभी तक खरीदार मिल नहीं रहे हैं.
प्रशासन करेगी बाजार की व्यवस्था
लातेहार डीसी अबु इमरान ने कहा कि किसानों के उत्पादित किए गए केले की बिक्री के लिए जिला प्रशासन योजना बना रही है. केले की बिक्री हॉल सेलिंग या लोकल मार्केट में खपत करवाने का प्रयास किया जा रहा है.
लातेहार के अति पिछड़े गांव हेसलबार में ग्रामीणों ने जिस प्रकार केले की खेती कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है. उससे अन्य ग्राम के ग्रामीण भी सीख ले कर लातेहार जिले को वैकल्पिक खेती के माध्यम से आत्मनिर्भर बना सकते हैं. परंतु जरूरत इस बात की है कि जिला प्रशासन किसानों की ओर से उत्पादन किए जा रहे केला को बेहतर बाजार उपलब्ध करवाएं ताकि किसानों का झुकाव इस प्रकार की खेती की ओर हो सके.