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खड़ंगाझार सामुदायिक विकास मैदान का भूखंड निजी है अथवा सरकारी, जाँच कर शंका समाधान कीजिये, मामा-भाँजे की अलग-अलग दावेदारी से असमंजस में है आम जनता 

खड़ंगाझार सामुदायिक विकास मैदान का भूखंड निजी है अथवा सरकारी, जाँच कर शंका समाधान कीजिये, मामा-भाँजे की अलग-अलग दावेदारी से असमंजस में है आम जनता

जमशेदपुर – खड़ंगाझार के सामुदायिक विकास मैदान में श्री रामनवमी महोत्सव आयोजन को लेकर दो गुटों के मध्य उपजी विवाद अब भूमि विवाद की ओर बढ़ चली है। अंकित आनंद के नेतृत्व वाली श्री बजरंग अखाड़ा समिति (ट्रस्ट) खड़ंगाझार और एक बड़े नेता के रिश्तेदार गणेश सोलंकी की कमिटी श्री श्री बजरंग अखाड़ा समिति के दावेदारी के बीच तीसरे पक्ष ने भी इंट्री मार दिया है। यह कोई और नहीं बल्कि गणेश सोलंकी के मामा भीमसेन मुंडा हैं। मामला रामनवमी पूजा से हटकर भूमि विवाद की ओर बढ़ता दिख रहा है। पिछले दिनों गणेश सोलंकी के मामा भीमसेन मुंडा ने सामुदायिक विकास मैदान में दो स्थानों पर बोर्ड लगाकर सर्वसाधारण को सूचना दिया है की यह भूमि उनकी पैत्रिक संपत्ति है। उनकी सहमति के बगैर किसी तरह का आयोजन वर्जित है। दूसरी ओर उनके ही भाँजे गणेश सोलंकी ने पूजा को लेकर छपवाये गई चन्दा रसीद में स्थान का उल्लेख “सामुदायिक विकास मैदान” के रूप में किया है। हालांकि इस रसीद को फ़र्ज़ी बताते हुए अंकित आनंद ने जिला प्रशासन से पहले ही जब्त करने की माँग कर चुके हैं।

सोमवार को इसी प्रकरण में सवाल उठाते हुए श्री बजरंग अखाड़ा समिति ट्रस्ट के अंकित आनंद ने जिला उपायुक्त सहित प्रखण्ड विकास पदाधिकारी और अंचल अधिकारी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। इस बाबत् किये गये ट्वीट में अंकित आनंद ने लिखा है की मामाजी और भाँजे की अलग-अलग दावेदारी से खड़ंगाझार की आम जनता असमंजस में है। प्रशासन बताये की आखिर सच्चा कौन और झूठा कौन? गणेश सोलंकी जिस भूमि को सामुदायिक विकास मैदान बता रहे हैं, उसी मैदान को उनके मामाजी पैत्रिक संपत्ति होने का दावा किये हैं। यह तय है की इनमें से कोई एक सच कह रहा है। ट्वीट में आगे लिखा गया है की उसी मैदान पर लगातार बीते तीन वर्षों से श्री बजरंग अखाड़ा समिति के तत्वाधान में अंकित आनंद एवं कमिटी ने रामनवमी महोत्सव का आयोजन किया है। तब किसी ने भी उचित फोरम पर आपत्ति दर्ज नहीं करवाया। अब पूजा की ख्याति बढ़ता देख अचानक से एक समूह पीड़ा में है। उन्हें अंकित आनंद की लोकप्रियता पच नहीं रही है। यह राजनीतिक ईर्ष्या को दर्शाता है। ट्वीट द्वारा माँग की गई है की जिला प्रशासन उक्त भूखंड का सीमांकन कर के असमंजस दूर करे ताकि आमजनों का शंका समाधान हो सके।