झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

काम नहीं चलता रोने से

काम नहीं चलता रोने से
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जी कर मरने या मर मर के जीने में कुछ अन्तर है
भले वो खुश दिखते बाहर से लेकिन आँख समन्दर है

जो कुछ हमको मिला हुआ है उससे जी क्यों भर जाता
नहीं मिला जो उसको पाने जादू – टोना – मन्तर है

दिल में जोश बनाए रखना जरा होश भी रख लेना
यार कभी ऐसा मत सोचो तू ही एक सिकन्दर है

विज्ञापन में चमक दमक है पर शासन विज्ञापन से
शासन की जो आज व्यवस्था दिखता वहाँ भगन्दर है

काम नहीं चलता रोने से, बाँधो मुट्ठी, चिल्लाओ
जो पीड़ा तेरे अन्दर है, वही सुमन के अन्दर है

श्यामल सुमन