झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

जुगसलाई नगर परिषद् के कार्यपालक पदाधिकारी के आदेशानसार जुगसलाई नगर परिषद् के अंतर्गत सभी दुर्गापूजा स्थलों एवम् मंदिरों में खाद कलश” रखने या जगह नहीं होने पर कलश की जगह सभी सामग्रियों को गड्ढे में डाल कर उसे खाद में परिवर्तित करने हेतू “IEC Activities” किया जा रहा

जुगसलाई नगर परिषद् के कार्यपालक पदाधिकारी के आदेशानसार जुगसलाई नगर परिषद् के अंतर्गत सभी दुर्गापूजा स्थलों एवम् मंदिरों में खाद कलश” रखने या जगह नहीं होने पर कलश की जगह सभी सामग्रियों को गड्ढे में डाल कर उसे खाद में परिवर्तित करने हेतू “IEC Activities” किया जा रहा

हम सभी पूजा पाठ और तीज त्योहार बहुत ही खुशियों और उत्साह से मनाते है। घर में पूजा करते है पंडालों में मूर्तियों की स्थापना होती है। माहौल बहुत ही भक्तिमय होती है परन्तु हम कुछ चीजों पर ध्यान नहीं देते है।
पूजा पाठ के दौरान लगभग आठ लाख टन चढ़ाए हुए पुष्प, बेलपत्र निकलते हैं जिनमें सिंदूर वगैरह मिला होता है। पूजा के बाद सारे पुष्प को जल स्त्रोतों जैसे नदी, तालाब इत्यादि में प्रवाहित कर दिया जाता है जो कि जल प्रदूषण का मुख्य कारण है । पुष्पों में मौजूद सिंदूर में हानिकारक तत्व होते है जो जलीय जंतु जैसे मछलियों को नुक़सान पहुंचाते है साथ ही पीने के लिए मानव स्वास्थ्य के लिए भी बहुत नुकसान पहुंचाते है।
अतः जल प्रदूषण को रोकने के लिए बड़े स्तर पर जुगसलाई नगर परिषद् द्वारा सभी दुर्गापूजा स्थलों तथा मंदिरों पर “खाद कलश” स्थापित करने हेतू “IEC एक्टिविटीज” किया जा रहा है
खाद कलश एक प्रकार का मिट्टी से बना छिद्र युक्त कलश है जिसमें पूजा के बाद उपयोग किए पुष्प, बेलपत्र, धूप, एवम् अगरबत्तियों के राख को डाल कर उसे उद्गम स्थल पर ही खाद में परिवर्तित करना है। या जल से भरे पात्र में सभी चीजों को डाल कर उसे मिट्टी में दबा कर भी खाद में परिवर्तित कर उसका उपयोग पौधे उगाने में किया जा सकता है जिससे प्राकृतिक रुप से उपयोग हुए फूलों के अपशिष्ट को प्रबंधित किया जा सके।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत चढ़ाएं हुए पुष्पों को उदगम स्थल पर ही निष्तारित करने से जल प्रदूषण को रोका जा सकता है।
यही नहीं जुगसलाई नगर परिषद अंतर्गत मंदिरों में भी “खाद- कलश” रखने की अपील की जा रही ताकि जुगसलाई निवासी अपने घरों से निकलने वाले प्रतिदिन पूजा के पुष्पों को भी अपने पास के मंदिर में जाकर के डाल सकते है। इन सभी से खाद का निर्माण होगा जिससे पुनः पुष्पों के पौधे लगाएं जाएंगे ताकि खनिजों का पुनः चक्रण चलता रहे।
साथ ही लोगो से अपील की गईं कि पूजा पंडाल में सिंगल यूज प्लास्टिक या थर्मोकोल के प्लेट वैगैरह का उपयोग नहीं कर पत्तलों/कागज/गत्तों से बने चीजों का उपयोग करें।
इस इनीशियातिव से महीने में अनुमानित 36500 किलो पुष्पों को जल में जाने से रोक सकते है।
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