झारखण्ड वाणी

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जमशेदपुर में टाटा सब लीज के मामले पर विचार करने के लिये आगामी सात मार्च को सरकार एक बैठक बुला रही है

जमशेदपुर में टाटा सब लीज के मामले पर विचार करने के लिये आगामी सात मार्च को सरकार एक बैठक बुला रही है. संभवतः सब लीज मामले में हुई अनियमितता को नियमित करना बैठक का मुख्य विषय होगा. अब तक जितनी पड़ताल इस मामले में हुई है सबमें यही पाया गया है कि 59 सब लीज में राजस्व नियमों का उल्लंघन हुआ है. सबसे पहले 2008 में मैंने यह विषय ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से झारखंड विधानसभा में उठाया था. तबसे अब तक के बीच इस बारे में उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट आई, उच्च न्यायालय का निर्णय आया, पू० सिंहभूम के उपायुक्त ने और कोल्हान के कमिश्नर ने सरकार को जाँच प्रतिवेदन दिया. सबने पाया कि इसमें अनियमितता हुई है. सब लीज के अधिकांश भूखंडों पर बड़ी इमारतें खड़ी हो गई हैं, बड़े होटल और मॉल बन गये हैं. सरकार भी इस बारे में ठोस निर्णय लेने से बचती रही है.

प्रसन्नता की बात है कि सरकार इस समस्या का निपटारा करने के लिये बैठक बुला रही है. इस अवसर पर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने मुख्य सचिव झारखण्ड सरकार को पत्र लिखकर  इसी से मिलती जुलती जमशेदपुर की एक गम्भीर समस्या की ओर आकृष्ट कराया है. यह समस्या सब लीज की समस्या से भी पुरानी है. यह भी सब लीज के समरूप अनियमितता का मामला है.

2005 में टाटा लीज़ समझौता का नवीकरण करते समय जमशेदपुर में टाटा लीज़ की क़रीब 1750 एकड़ ज़मीन पर बसी बस्तियों को सरकार ने लीज़ से अलग कर दिया. इन बस्तियों के बाशिन्दे इसके पहले से मालिकाना हक़ की माँग कर रहे थे. इसी तरह झारखंड सरकार की भूमि पर भी जमशेदपुर में कतिपय बस्तियाँ बस गई हैं. इन्हें भी नियमित करने और मालिकाना हक़ देने की माँग सब लीज मामले के पहले से चल रही है.

श्री राय ने पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि 59 सब लीज पर बुलाई गई बैठक में सरकार जमशेदपुर की इन बस्तियों को नियमित करने और उन्हें मालिकाना अधिकार देने पर विचार किया जाना चाहिये. इसके पूर्व भी श्री राय के पहल पर इस बारे में आपके स्तर पर दो बार बैठक हो चुकी हैं. राजस्व सचिव स्तर पर भी श्री राय के साथ एक बैठक हो चुकी है. पर समाधान अभी भी लंबित है. आप सहमत होंगे कि 59 सबलीज मामले के साथ बस्तियों के मालिकाना पर भी बात होना न्याय संगत होगा.