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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन ने वेबीनार में रखा विचार

झारखंड उच्च न्यायालय वार एसोसिएशन के तत्वावधान में ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया गया. इस दौरान न्यायाधीश आनंद सेन ने कहा कि अदालत में याचिका दायर करने से पूर्व अच्छे से प्लीडिंग नहीं करने के कारण सुनवाई करने वाले न्यायाधीश और केस दायर करने वाले अधिवक्ता दोनों को असुविधा का सामना करना पड़ता है, व्यर्थ का समय भी गवाना पड़ता है, जिससे मुवक्किल को भी कठिनाई होती है.

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय वार एसोसिएशन के तत्वावधान में ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया गया. इसमें झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आनंद सेन ने किसी भी प्रकार के याचिका को दायर करने से पहले उसमें प्लीडिंग का क्या महत्व है, इसे विस्तार से बताया.
वेबीनार का शुभारंभ एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए वेबिनार के विषय के बारे में जानकारी दी. उसके बाद न्यायमूर्ति ने इस विषय पर व्याख्यान देते हुए यह बताया कि प्लीडिंग बहुत ही सावधानी पूर्वक ध्यान से लिखना चाहिए ताकि याचिका में कोई भी ऐसी महत्वपूर्ण बिंदु वंचित न रह जाए, नहीं तो याचिका दाखिल करने के बाद सुनवाई के दौरान प्लीडिंग या अभी वचन पूर्ण नहीं होने के कारण बार और बेंच दोनों को असुविधा होती है. बाद के समय में उच्च न्यायालय में अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करना पड़ता है, जिससे कि अदालत और मुवक्किल को बहुत ही समय व्यर्थ होने का सामना करना पड़ता है. जहां तक निचली। अदालत का सवाल है, वहां अमेंडमेंट ऑफ रीट फाइल करना पड़ता है, जिसका की बहुत ही लंबी प्रोसेस है. ऐसे में मुवक्किल को कठिनाई का सामना करना पड़ जाता है. इसलिए प्लीडिंग्स बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है किसी भी याचिका को फाइल करने में इसकी महत्ता को भली-भांति सभी अधिवक्ताओं को समझना चाहिए और अमल करना चाहिए.
वेबीनार में सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ताओं ने भाग लिया. कई वरीय अधिवक्ता ने भी प्रमुखता से माननीय न्यायमूर्ति के व्याख्यान को सुना. उनमें मधुसूदन मित्तल, राजीव शर्मा, अजीत कुमार, धीरज कुमार, नवीन कुमार, अशोक कुमार, राखी रानी भानु कुमार, अमिताभ कृष्ण मुरारी और अभय मिश्रा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे. वेबीनार के अंत में एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मुकेश कुमार सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.