हम सबका तो एक चमन है
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जलन, घृणा में सिर्फ अगन है
प्यार जोड़ कर करे सृजन है
कोई भी निर्माण तभी जब
प्रेम-भाव के साथ अमन है
बँटती नफरत, साँझ सकारे
किस कारण ये सभी जतन है
नफ़रत की दीवार देखकर
होती दिल में तेज चुभन है
हक सबका है यहाँ बराबर
हम सबका तो एक चमन है
बढ़े घृणा से दिल की दूरी
प्रेम, भावना करे सघन है
नफ़रत के सौदागर चेतो
अभी सुमन में शेष तपन है
श्यामल सुमन
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