झारखण्ड वाणी

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झारखण्ड बंगभाषी समन्वय समिति महासचिव संदीप सिन्हा चौधरी ने मुख्यमंत्री झारखंड सरकार को पत्र लिखकर जेएसएससी द्वारा निकाली गई सहायक आचार्य पदों पर बांगला को मातृभाषा की श्रेणी में नहीं रखने के सम्बन्ध में ध्यान आकृष्ट कराया है

झारखण्ड बंगभाषी समन्वय समिति महासचिव संदीप सिन्हा चौधरी ने मुख्यमंत्री झारखंड सरकार को पत्र लिखकर
जेएसएससी द्वारा निकाली गई सहायक आचार्य पदों पर बांगला को मातृभाषा की श्रेणी में नहीं रखने के सम्बन्ध में
ध्यान आकृष्ट कराया है

जमशेदपुर- झारखण्ड बंगभाषी समन्वय समिति महासचिव संदीप सिन्हा चौधरी ने मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से
अति दुःख एवं विषाद के साथ सूचित किया है, कि जेएसएससी द्वारा निकाली गई सहायक आचार्य पदों पर बांगला को मातृभाषा की श्रेणी में नहीं रखा गया है जो झारखंड के मूल निवासीयों के साथ एक छलावा तथा शिक्षा जगत में एक अव्यवहारिक एवं अव्यवस्थित तथा असम्पूर्ण प्रतीत होता है। झारखंड के मूल निवासीयों में लगभग आधे निवासी बांगला भाषी हैं जो सर्वविदित है, फिर भी इस भाषा के प्रति इतनी अवहेलना है, यह विडंबना ही है कि सब कुछ जानते हुए भी इस प्रकार की अन्याय बारम्बार किया जा रहा है।
कुछ दिन पहले ही राज्यसभा सांसद सह झारखंड सरकार के समन्वय समिति के अध्यक्ष शिवु सोरेन के द्वारा यह घोषणा किया गया था कि बांगला भाषी यहां के मूल निवासी हैं जो सर्वमान्य है लेकिन गुरूजी का आदेश को भी ओझल करते हुए बांग्ला भाषा के साथ इस प्रकार दोहरी नीति का मापदंड अपनाना समझ से परे है।
श्री चौधरी ने पत्र में उल्लेख किया है कि इस राज्य में गुरुजी का घोषणा को अनदेखी न करते हुए तथा बांगला भाषियों के साथ इस प्रकार अन्याय न हो इस पर मुख्यमंत्री एवं वर्तमान सरकार के वरिष्ठ नेताओं द्वारा तत्काल संज्ञान में लेने का आग्रह किया है और बांगला भाषियों के साथ न्यायोचित मार्गदर्शन करने का आग्रह किया है