झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

है नशा जिसको बादशाहत का

अब कहर से भी डर नहीं होता
जब से घर में बसर नहीं होता

तबतलक हम लड़ेंगे सड़कों पर
कुछ असर जुल्म पर नहीं होता

इन निजामों की बेरुखाई से
किसके घर में कहर नहीं होता?

बात जम्हूरियत की क्यों करते
कुछ भी वैसा अगर नहीं होता

है नशा जिसको बादशाहत का
जल्दी जिद पे असर नहीं होता

तेरी तकलीफ तबतलक यारों
मिलके जबतक सफर नहीं होता

आगे बढ़ना सुमन हमेशा तुम
सबका जबतक कदर नहीं होता

श्यामल सुमन