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दुमका : संथाल आदिवासीयों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया बेलबोरोन बोंगा/पुजा

दुमका : संथाल आदिवासियों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया बेलबोरोन बोंगा/पुजा

दुमका प्रखंड के भुरकुंडा पंचायत के लेटो गांव मे दिशोम मराङ बुरु युग जाहेर आखड़ा और ग्रामीणों ने बेलबोरोन पुजा बहुत धूमधाम से मनाया गया.इसके पीछे संथाल आदिवासियों का मान्यता है कि जब धरती में मनुष्यों द्वारा पाप बहुत बढ़ गया था तो इष्ट देवता ठकुर ने 12 दिन और 12 रात सेगेल दाह(अग्नि वर्षा) धरती के सिंगबीर और मानबीर में गिराये और इसके साथ-साथ पुहह(जीवाणु/वायरस)भी छोड़े और मनुष्य जाति को ख़त्म करने का निर्णय भी लिया जब यह बात इष्ट देवी ठकरन को पता चला तो उसने इष्ट देव ठकुर से कही यह सभी हमारे ही बच्चे हैं इन सभी को नाश नहीं करे.ऐसा करने से हमें ही हानि होगी.इसके लिये मै लिटह (मराङ बुरु)से बात करुगी और हम दोनों मिलकर मनुष्यों को धर्म के रास्ते वापस लायेगे.इसके लिये ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु) को मोनचोपुरी(पृथ्वी लोक) से शिरमापुरी(देवलोक)बुलायी और कही मनुष्य पाप के रास्ते चल पड़ा है जिस कारण ठकुर इन मानव जाति को नाश करने वाले है.ठकुर का संदेश है कि हम दोनों(ठकुर और ठकरन) का सपाप(आभूषण और वस्त्र) मोनचोपुरी(पृथ्वीलोक) ले जाये और मनुष्य र्दशाय नृत्य और गीत के माध्यम हमारा गुणगान करे.मेरा सुनुम-सिंदुर(तेल-सिंदुर)ले जाये और गांव-गांव घुमाये.मेरा सपाप(आभूषण और वस्त्र) साड़ी,शंका,काजल आदि और इष्ट देव ठकुर का सपाप(आभूषण और वस्त्र) लिपुर,पैगोन,मोर पंख आदि ले जाये.कुछ लोग मेरा सपाप(आभूषण और वस्त्र)पहने और कुछ लोग इष्ट देव ठकुर का सपाप(आभूषण और वस्त्र) पहने और दशांय नृत्य और गीत के माध्यम हमारा गुणगान करे.ऐसा करने पर इष्ट देव ठकुर खुश हो जायेगे,उन्हें बिश्वास हो जायेगा कि मनुष्य पाप छोड़ धर्म के रास्ते चल पड़ा है,तब वे मनुष्य जाति का नाश नहीं करेगे.इष्ट देवी ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु) से यह भी कहा कि मैं बारह गुरु बोंगाओ(गुरु देवताओ)को भी मोनचोपुरी(पृथ्वी लोक) जाने के लिये कहुंगी जो अपने-अपने कार्य क्षेत्र मे निपुण है.जैसे धरोम गुरु बोंगा – धर्म और धन के लिय,कमरू गुरु बोंगा – रोग मुक्ति के लिय,भुवग गुरु बोंगा- नृत्य,संगीत के लिय आदि .इन सभी गुरु बोंगा को घर-घर घुमाओ,इससे इष्ट देव ठकुर के माध्यम से मनुष्य जाति को ख़त्म करने के लिये छोड़े गए पुहह(जीवाणु/वायरस) के माध्यम से जो बीमारी फैली है वह इन गुरु बोगाओ(गुरु देवताओ)के माध्यम से खत्म हो जायेगा.इन गुरु बोगाओ(गुरु देवताओ) के माध्यम से मनुष्य बीमारियो का इलाज,दवा,जड़ी-बुटी,धर्म,तंत्र मंत्र आदि सिखेगा.मोनचोपुरी(पृथ्वीलोक) मे मनुष्य गुरु बोगाओ से गुरु-शिष्य का सम्बंध स्थापित कर हमारा गुणगान करे.आगे ठकरन ने कहा मैं दशांय चांदु (संथाली महीना) के छठा दिन को मोनचोपुरी(पृथ्वीलोक)मे गुरु बोगाओ(गुरु देवताओ) के साथ अवतरित होगी,इस दिन को पूजा करे.इस दिन को संताल आदिवासी “बेलबोरोन पुजा” करते है.इस बेलबोरोन पुजा मे धरोम गुरु बोंगा,कमरू गुरु बोंगा,भुवग गुरु बोंगा,कांशा गुरु बोंगा,चेमेय गुरु बोंगा,सिद्ध गुरु बोंगा,सिदो गुरु बोंगा,रोहोड़ गुरु बोंगा,गांडु गुरु बोंगा,भाइरो गुरु बोंगा,नरसिं गुरु बोंगा,भेन्डरा गुरु बोंगा की पूजा के साथ साथ मारांग बुरु,मोड़ेकु तुरुयकु आदि का पूजा करते है और मुर्गा बलि में देते है.खिचड़ी प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते है.बेलबोरोन पुजा के एक सप्ताह पहले से गुरु-शिष्य गांव मे आखड़ा बांधते है जहा गुरु शिष्यो को मंत्र की सिद्धी,परंपरागत चिकित्सा विधि आदि का ज्ञान देते है.इसी दौरान गुरु-शिष्य पहाङ सहित कई जगहों पर जड़ी-बुटी के खोज मे जाते है जहाँ गुरु-शिष्यो को जड़ी-बुटी की पहचान और उसका उपयोग किन बीमारियो मे किया जाता है का ज्ञान देते है.बेलबोरोन पुजा के दुसरे दिन से तीन दिन लगातर गुरु-शिष्य गुरु बोंगाओ को लेकर गांव-गांव घुमाते है और दशांय नृत्य और गीत के माध्यम इष्ट देव ठकुर और इष्ट देवी ठकरन का गुणगान गाते है और साथ –साथ भक्तों के घर मे सुख,शांति,धन आदि के लिये पुजा करते है.बेलबोरोन पुजा के चौथा और अंतिम दिन अपने गांव मे दशांय नृत्य और गीत करते है. *इस तरह संतालो का बेलबोरोन पुजा गुरु-शिष्य का अदभुत सम्बन्ध का पूजा है.जो हमें पाप नहीं करने,धार्मिक बने रहने,समाज को रोग मुक्त बनाये रखने,परंपरागत जड़ी-बुटी चिकित्सा विधि को जीवित रखने,परंपरागत नाच गाने को बचाये रखने,इष्ट देवताओ पर अट्टूत विश्वास रखने और खुश रहने का संदेश देता है बेलबोरोन पुजा गुरु-शिष्य का पूजा है,आदिवासियों और लोगों के बीच शिक्षा की जागरुकता के लिये आखड़ा झारखण्ड सरकार से मांग करती है कि बेलबोरोन पुजा में राज्य स्तरीय छुट्टी दिया जाए.

रपट: मोहित कुमार