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बिहार में चुनाव से पहले नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, अब बिना BEd वाले भी बन सकेंगे शिक्षा सेवा के अधिकारी

पटना। बिहार सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला किया है। अब बिहार शिक्षा सेवा के अधिकारियों के लिए बीएड (BEd) की अनिवार्यता समाप्‍त कर दी गई है। इसके अलावा बिहार शिक्षा सेवा नियमावली में भी संशोधन किया गया है।

बिहार शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन

सरकार के फैसले के अनुसार बिहार शिक्षा सेवा के लिए अब बीएड डिग्री की अनिवार्यता नहीं रही। इसके लिए बिहार शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन कर दिया गया है। शिक्षा विभाग के अपर सचिव गिरिवर दयाल सिंह ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके लिए लंबे समय से मांग उठ रही थी।

प्रोवेजन काल में बीएड करना था अनिवार्य

विदित हो कि बिहार शिक्षा सेवा नियमावली 2014 में शिक्षा सेवा के लिए बीएड को अनिवार्य कर दिया गया था। अधिकारियों के लिए दो साल के प्रोवेजन काल में बीएड कोर्स भी करना होता था। अब संशोधन के बाद बिहार शिक्षा सेवा नियमावली 2020 लागू होने के साथ यह अनिवार्यता समाप्‍त हो गई है।

जिला अपीलीय प्राधिकार के पीठासीन पदाधिकारियों का कार्यकाल बढ़ाया

इसके अलावा शिक्षा विभाग ने जिला अपीलीय प्राधिकार के 58 पीठासीन पदाधिकारियों का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए संकल्प जारी कर दिया है। शिक्षा विभाग के उप सचिव अरशद फिरोज ने बताया कि सभी 38 जिला अपीलीय प्राधिकार में 76 पद सृजित किए गए हैं। अभी नई नियुक्ति में वक्त लगेगा, इसलिए यह फैसला लिया गया है। जिला अपीलीय प्राधिकार में दो पीठासीन पदाधिकारी होते हैं, जिनमें एक रिटायर्ड न्यायिक अधिकारी और दूसरे बिहार प्रशासनिक या बिहार शिक्षा सेवा के रिटरयर्ड अधिकारी होते हैं। उनका कार्यकाल पांच साल होता है। उनकी अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष है।

चुनाव के पहले सरकार का यह बड़ा फैसला

बहरहाल, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राज्‍य सरकार का यह बड़ा फैसला माना जा रहा है।