झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

भगवन को इन्साफ

भगवन को इन्साफ
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किधर देश अब जा रहा, हालत बिल्कुल साफ।
न्यायालय से मिल रहा, भगवन को इन्साफ।।

धरम जोड़ता था कभी, बाँटे अभी समाज।
इस नफरत के बीज में, है सत्ता का राज।।

रोज बिगड़ते हाल का, कैसे करें निदान।
कलमकार भी जब करे, सत्ता का गुणगान।।

प्रेम, धरम के मूल मे, अब केवल बिखराव।
मानव मूल्यों का अभी, दिखता नित्य अभाव।।

ख़बरों में भी धरम का, मचा हुआ है शोर।
आपस में जब जब लड़े, देश हुआ कमजोर।।

धरम सिखाता है हमें, क्या जीने की राह?
हम लड़ते उस नाम पर, किसको है परवाह??

रो कर या हँसकर सुमन, करना हमें सुधार।
चाहे कुछ भी ना बचे, बचे दिलों में प्यार।।

श्यामल सुमन