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भारत की सोच है कि विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ विश्व कल्याण का प्रयास हो

रांची : पत्र सूचना कार्यालय और रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची तथा फील्ड आउटरीच ब्यूरो, गुमला एवं सीएसआईआर – सीआईएमएफआर , सीएसआईआर – एनएमएल केे संयुक्त तत्वावधान में ‘भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव : आत्म निर्भर भारत तथा वैश्विक कल्याण हेतु विज्ञान’ विषय पर आज वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में विज्ञान एवं अनुसंधान क्षेत्र से जुुुुड़े प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया। विशेषज्ञोंं का कहना था कि भारत का विज्ञान के क्षेत्र में प्राचीन काल से ही बड़ा योगदान रहा है। भारत ने ही विश्व को शून्य का ज्ञान दिया, जिससे विज्ञान तथा गणित के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुए। समय की दौड़ में मध्य युग में भारत विज्ञान में कुछ पिछड़ गया लेकिन आज के इस युग में हमारा प्रयास है कि विज्ञान के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर बनें तथा अपने अलावा पूरे विश्व को लाभ पहुंचाने का प्रयास करें।
वेबिनार परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अपर महानिदेशक पीआईबी- आरओबी, रांची अरिमर्दन सिंह ने कहा कि 2015 से आरंभ हुए भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फेस्टिवल का उद्देश्य है कि विज्ञान को किस प्रकार आम लोगों तक पहुंचाया जाए तथा उनकी प्रगति और सुविधा का वाहक बनाया जाए। आमतौर पर किसी देश की प्रगति का स्तर विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति से आंका जाता है, इसीलिए हमें प्रयास करना है कि हम विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें तथा पूरे विश्व को लाभ पहुंचाने का प्रयास करें क्योंकि हमारा दर्शन वैश्विक कल्याण का दर्शन है और हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि इतने बड़े महोत्सव का वर्चुअल मोड में आयोजन किया जा रहा है। यह एक सुनहरा अवसर है जिसमें वैज्ञानिक, शिक्षक, छात्र, बुद्धिजीवी तथा विज्ञान में रुचि रखने वाले आम लोग भी लाभान्वित हो सकेंगे।
डॉ इंद्रनील चट्टोराज, निदेशक सीएसआईआर-एनएमएल, जमशेदपुर ने कहा कि भारतीय विज्ञान का इतिहास बहुत गौरवपूर्ण रहा है। शून्य से लेकर न्यूमेरिक गिनती तक अगर देखा जाए तो इसमें भारत का ही योगदान दिखाई देता है। विज्ञान के हर क्षेत्र में प्राचीन काल में भारत का विकसित ज्ञान दिखाई देता है, जिसमें सर्जरी से लेकर आयुर्वेद की दवाएं तक शामिल है। इसी प्रकार मेटलर्जी, केमिकल इंजीनियरिंग का क्षेत्र हो, शीशा बनाना हो या कपड़ा रंगना हो, इन समस्त विधाओं में भारत अग्रिम पंक्ति में दिखाई पड़ता है। हमारे यहां एक से बढ़कर एक सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में और आर्किटेक्चर के क्षेत्र में कमाल दिखाने वाले वैज्ञानिक, इंजीनियर मिलते हैं जिन्होंने अविश्वसनीय मंदिरों और ताजमहल जैसी इमारत का जीता जागता सुबूत विश्व पटल पर रखा, जो आज भी अपनी सफलता की कहानी कह रहा है। लेकिन बाद के शासकों ने विज्ञान पर कम ध्यान दिया और धार्मिक और रूढ़िवादी सोच ने भी भारतीय विज्ञान की प्रगति में रुकावट डाली। लेकिन फिर 1850 से 1950 तक के दौर में भारत को एस एन बोस, मेघनाद साहा, श्रीनिवास रामानुजन एवं पीसी महालनोबिस जैसे वैज्ञानिक मिले जिन्होंने भारत के विज्ञान को फिर से नया मुकाम दिया।
सीएसआईआर- सीआईएमएफआर, धनबाद के निदेशक प्रदीप कुमार. सिंह ने कहा कि इस महोत्सव का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोगों को विज्ञान से जोड़ा जाए। अगर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है तो भारत को विज्ञान में अच्छा करना होगा और अपने गौरवपूर्ण इतिहास को जानना होगा। पिछले विज्ञान महोत्सव के दौरान बच्चों को इससे जुड़ने का कार्यक्रम रखा गया था जो अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हुआ और बच्चों के बीच में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ी। उन्होंने यह भी बताया की धनबाद केंद्र में बच्चों को विज्ञान की शिक्षा देने और इसके प्रति जिज्ञासा पैदा करने हेतु एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी जिस प्रकार रुचि ले रही है, आने वाले वर्षों में भारत विज्ञान के क्षेत्र में ज़रूर उन्नति करेगा।

श्रीप्रसाद एम कुट्टन, आयोजन सचिव, विज्ञान भारती, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल ने कहा कि विज्ञान फेस्टिवल का उद्देश्य जनमानस तक विज्ञान की जानकारी पहुंचाना और उन्हें विज्ञान की ओर आकर्षित करना है। हमारा भारतीय दर्शन सबके सामंजस्य से आगे बढ़ता है और हमारे सारे त्यौहार इस दर्शन को दर्शाते हैं। विज्ञान महोत्सव के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा आम लोगों, छात्रों और विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों तक जानकारी पहुंचाई जाती है जिसमें छात्रों एवं महिलाओं के लिए विज्ञान जैसे विषय प्रमुख है। उन्होंने आगे कहा कि विज्ञान महोत्सव में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि साहित्य, कला, इतिहास और संगीत से जुड़े लोग भी इसमें सम्मिलित हो सकें क्योंकि विज्ञान का प्रभाव समाज के लगभग हर क्षेत्र पर पड़ता है। चूंकि आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता है, इसीलिए इसमें देश के अलावा विदेश के वैज्ञानिक सम्मिलित होते हैं। उन्होंने सभी को इस बात के लिए प्रेरित किया इस बार के विज्ञान महोत्सव में हम सभी लोग अपने आप को रजिस्टर कराएं और इस फेस्टिवल से अधिकाधिक लाभान्वित हों तथा औरों को भी जोड़े।
इस वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी महविश रहमान ने किया। वहीं तकनीकी सहायता तथा समन्वय सहयोग क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शाहिद रहमान और ओंकार नाथ पाण्डेय द्वारा‌ क्रमशः दिया गया। साथ ही समन्वय में सीएसआईआर- सीआइएमएफआर के दिलीप कुम्भकर, पी के मिश्रा एवं सीएसआईआर- एनएमएल से मीता तरफदार, ए के साहू का योगदान रहा।
वेबिनार में विज्ञान तथा जनसंचार संस्थानों के अधिकारी कर्मचारियों, छात्रों के अलावा पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकारों एवं सदस्यों, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा मीडिया से संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए।