झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

अमृत-काल

अमृत-काल
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हे महाकाल!
आपका हृदय सचमुच है
कितना विशाल?
लोग अचम्भित हैं देखकर,
आपके करिश्में और कमाल।
हे महाकाल!

हे महाकाल!
लोग उछाल रहे हैं बेकार में,
इधर, उधर के सवाल,
जबकि टी वी में रोज,
दिखलाया जाता है कि
देश कितना है खुशहाल?
फिर भी ये विपक्षी!
कैसे कहते हैं कि
आमलोगों का हाल, बेहाल?
हे महाकाल!

हे महाकाल!
साल दर साल,
आज के विपक्षियों का
जब जब रहा सत्ता-काल,
इन लोगों ने लूट लूटकर,
देश को कर दिया कंगाल,
पर सबने अचरज से देखा,
आपके जादुई व्यक्तित्व ने,
इसे कैसे लिया सम्भाल?
हे महाकाल!

हे महाकाल!
एक तो कोरोना विकराल,
दुनिया भर में नुकसान हुआ,
बहुत जान और माल,
ऊपर से भुखमरी और अकाल,
लोग आज भी हो रहे पैमाल,
बस! एक आप ही हैं और
कायम है आपका मायाजाल,
जो इस विषम परिस्थिति में भी,
अगले पच्चीस सालों के लिए
आप झटपट ले आए अमृत-काल?
हे महाकाल!

श्यामल सुमन