अभिसार जिन्दगी है
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संधर्ष न किया तो धिक्कार जिन्दगी है
काँटों का सेज फिर भी स्वीकार जिन्दगी है
मिलता सुकूँ हवा से जो तन पे हो पसीना
भूखे को जैसे रोटी अभिसार जिन्दगी है
इन्सानियत की कीमत, ईमान की भी कीमत
हालात ऐसे लगते व्यापार जिन्दगी है
क्या माँगने से हिस्से की धूप भी मिलेगी
हक छीनकर के पाना अधिकार जिन्दगी है
गुजरो जिधर से यारो बन के सुमन की खुशबू
कोई भी कह सके ना लाचार जिन्दगी है
श्यामल सुमन
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