झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

अब मुर्दे भी बोले

अब मुर्दे भी बोले
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साधो! बिनु बारिश के ओले।
लोग बाग बेहाल हुए तो, अब मुर्दे भी बोले।।
साधो! बिनु —–

घोषित किया फकीर स्वयं को, बने लोग अनुगामी।
लेकिन निज – कर्मों से कर दी, संतों की बदनामी।
आमलोग की देख विवशता, इधर उधर सब डोले।।
साधो! बिनु —–

धर्म परायण इस माटी पर, लोग हैं सीधे-सादे।
लालच में जिसको भरमाया, करके झूठे वादे।
सच्चाई लोगों ने समझा, असली नकली चोले।।
साधो! बिनु —–

नहीं विरोधी सुमन किसी का, केवल प्रेम पुजारी।
राह दिखाने की कोशिश है, जो समाज हितकारी।
कलम वही जो समय समय पर, सबकी ऑंखें खोले।।
साधो! बिनु —–

श्यामल सुमन