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आज झारखंड आ जाएगी कोविशील्ड की 80 हजार डोज, बारह दिन में राज्य को कोवैक्सीन समेत टीके की मिलेगी साढ़े पांच लाख डोज

आज झारखंड आ जाएगी कोविशील्ड की 80 हजार डोज, बारह दिन में राज्य को कोवैक्सीन समेत टीके की मिलेगी साढ़े पांच लाख डोज

झारखंड में कोरोना वैक्सीनेशन की गति बढ़ाने को लेकर तैयारियां तेज हैं. जून महीने के बारह दिनों में लगभग 05 लाख 70 हजार 810 डोज वैक्सीन झारखंड लाई जाएगी. इनमें कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों वैक्सीन की डोज शामिल होंगी.
रांचीः झारखंड में कोरोना वैक्सीनेशन की गति बढ़ाने की तैयारियों के बीच जून के बचे बारह दिनों में 05 लाख 70 हजार 810 डोज वैक्सीन झारखंड आने की संभावना है. इसमें 04 लाख 50 हजार 960 डोज कोविशील्ड की होगी और 01 लाख 19 हजार 850 डोज कोवैक्सीन की होगी. इसमें से आज शनिवार को कोविशील्ड के 81 हजार 520 डोज लाए जाएंगे.
किस दिन कितनी वैक्सीन आएगी राज्य को जून महीने में मिलने वाली वैक्सीन का शेड्यूल इस प्रकार है-
तारीख वैक्सीन डोज
19-06-2021 कोविशील्ड 81520
21-06-2021 कोविशील्ड 82560
24-06-2021 कोविशील्ड 122800
26-06-2021 कोविशील्ड 82040
27-06-2021 कोविशील्ड 82040
कोवैक्सीन की कब आएगी, कितनी डोज
तारीख वैक्सीन डोज
25-06-2021 कोवैक्सीन 45760
28-06-2021 कोवैक्सीन 61010
29-06-2021 कोवैक्सीन 13080
21 जून से वैक्सीन निजी अस्पताल भी अपने यहां वैक्सीनेशन के लिए ले सकते हैं. इसके लिए वैक्सीन निर्माता कंपनियों से उन्हें वैक्सीन लेना होग पर इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी. रेडक्रॉस सहित राज्य के 07 संस्थानों ने मंथली डिमांड की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी है.
झारखंड के रेडक्रॉस में कोविशील्ड के 15000 डोज और कोवैक्सीन के 5000 डोज की डिमांड है.
मेडिका हॉस्पिटल रांची में कोवैक्सीन के 10000 डोज, मेडीटरीना हॉस्पिटल जमशेदपुर में कोविशील्ड की 3000 डोज, लाइफ केयर हॉस्पिटल हजारीबाग में कोविशील्ड की 2000 डोज, द होप हॉस्पिटल रामगढ़ में कोविशील्ड की 3000 डोज, रानी हॉस्पिटल रांची में कोविशील्ड की 3000, Kmm हॉस्पिटल बोकारो में कोवैक्सीन की 1000 डोज की जरूरत है.*

*खेल पुरस्कार 2021 के लिए झारखंड के खिलाड़ियों के पास आखिरी मौका, 28 जून तक बढ़ाई गई आवेदन की तारीख

भारत सरकार के खेल विभाग की ओर से खेल पुरस्कार 2021 के लिए आवेदन की तारीख 21 जून से बढ़ाकर 28 जून 2021 कर दी गई है. झारखंड से भी बड़ी संख्या में खिलाड़ी खेल पुरस्कार के लिए आवेदन करते हैं.
रांची: झारखंड खिलाड़ियों का हब माना जाता है. हर क्षेत्र में झारखंड के खिलाड़ी अपना परचम लहरा रहे हैं. क्रिकेट हो या हॉकी या तीरंदाजी हो या फिर कोई अन्य खेल. सभी खेलों में यहां के खिलाड़ियों का दबदबा है. हर साल केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स की ओर से खेल पुरस्कार दिया जाता है. आवेदन ऑनलाइन मंगाए गए हैं. आवेदन करने के लिए 21 जून तक तिथि निर्धारित की गई थी. लेकिन अब यह तिथि 28 जून 2021 तक बढ़ा दी गई है.
सलीमा टेटे और निक्की प्रधान को सीएम समेत कई नेताओं ने दी बधाई, कहा- झारखंड के लिए गौरव का पल यह पुरस्कार मिलेंगे खेल पुरस्कार के तहत राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड, अर्जुन अवॉर्ड, द्रोणाचार्य अवॉर्ड, ध्यानचंद अवार्ड, राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ट्रॉफी फॉर द ईयर 2021 दिया जाना है.
झारखंड के खिलाड़ी हर साल करते हैं आवेदन देश भर से आवेदन इसके लिए आते हैं. झारखंड के खिलाड़ी भी बड़ी संख्या में इन पुरस्कारों के लिए अपना-अपना आवेदन देते हैं. इस साल भी मनोहर टोपनो जैसे खिलाड़ियों के साथ-साथ अन्य अर्हता पूरी करने वाले खिलाड़ियों ने आवेदन दिया है.
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खेल पुरस्कार की राशि में पिछले साल बड़ा इजाफा किया था. इसके तहत अब दिए जाने वाले राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के विजेताओं को 25 लाख रुपये, अर्जुन पुरस्कार के विजेताओं को 15 लाख रुपये, द्रोणाचार्य (जीवन पर्यंत) के विजेताओं को 15 लाख रुपये और ध्यान चंद पुरस्कार के विजेताओं को दस लाख रुपये दिए जाने लगे हैं.
कोरोना महामारी के कारण पिछले साल ही खेल मंत्रालय ने आवेदकों को पहली बार स्व-नामांकन करने की अनुमति दी थी. खिलाड़ियों और पात्र व्यक्तियों के लिए इस साल भी यह व्यवस्था लागू रहेगी. यानी खिलाड़ी खुद ही आवेदन कर सकेंगे. इससे पहले 2019 तक आवेदकों को सिफारिश की आवश्यकता पड़ती थी.
अर्जुन पुरस्कारः 1961 में शुरू किया गया पुरस्कार खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है.
द्रोणाचार्य पुरस्कारः पुरस्कार दिए जाने वाले वर्ष के चार वर्ष के भीतर ऐसे कोच को प्रशिक्षण के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है, जिसके प्रशिक्षु खिलाड़ियों ने इस अवधि के भीतर होने वाले ओलंपिक खेल, कॉमनवेल्थ और एशियन गेम में उल्लेखनीय सफलता हासिल की हो.
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कारः यह पुरस्कार ऐसे खिलाड़ी को दिया जाता है, जिसने चार साल के भीतर अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत के लिए एक्सीलेंस प्रदर्शन किया है. ओलंपिक, कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स, वर्ल्ड कप आदि प्रतियोगिता शामिल हैं.*

*गिरिडीह के रेलवे अंडरपास में पांच फिट ऊंचाई तक भरा पानी, आवागमन बाधित*

गिरिडीह में मानसून की पहली बारिश से रेलवे अंडरपास में पानी भर गया. इसके कारण यहां आवागमन बाधित हो गया है.
गिरिडीह: मानसून की पहली बारिश कई इलाकों में लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है. लगातार हो रही बारिश के कारण महेशमुंडा रेलवे स्टेशन के पास गिरिडीह-जामताड़ा मार्ग पर बने अंडर पास में पानी भर गया है और आवागमन पूरी तरह प्रभावित है. यहां अंडरपास में सड़क पर लगभग 5 फिट तक पानी जमा है, जिस कारण राहगीरों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
अंडरपास में पानी, ट्रैक से आ जा रहे लोग स्थिति ऐसी बनी हुई है कि अंडरपास और सड़क के दोनों ओर जलजमाव के कारण आवागमन बाधित है. ऐसे में जरूरी कामों के लिए लोग रेलवे ट्रैक को पार कर आने-जाने के लिए मजबूर हैं. ट्रैक पर ट्रेन का परिचालन भी शुरू हो गया है. जिससे किसी अनहोनी की आशंका भी बनी हुई है. स्थानीय लोगों और राहगीरों का कहना है कि आवागमन बाधित होने से उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. लोगों ने बताया कि जल जमाव के कारण कई बार यहां दुर्घटना भी हो चुकी है.
जल जमाव की समस्या रेलवे अंडरपास बनने के बाद जल जमाव की समस्या यहां लगातार होती आई है. थोड़ी बारिश के बाद भी अंडर पास में जल का जमाव हो जाता है. कई बार स्थानीय लोगों ने इस समस्या के समाधान को लेकर आवाज भी उठाई है. स्थानीय विधायक डॉ. सरफराज अहमद की अगुवाई में लोगों ने सड़क जाम कर बीते दिनों व्यवस्था में सुधार की मांग की थी. उस समय आसनसोल रेल डीआरएम से विधायक की वार्ता के बाद जल्द रेलवे अंडर पास में जल जमाव की समस्या के समाधान का आश्वासन रेल अधिकारियों ने दिया था लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल रेलवे ने नहीं की है. इसके कारण मूसलाधार बारिश के बाद अंडर पास तालाब में तब्दील हो चुका है.तालाब से सटे होने के कारण बनी रहती है समस्या रेलवे अंडर पास के दूसरी ओर एक बड़ा तालाब है. तालाब से बिल्कुल सटे हुए अंडरपास का निर्माण रेलवे ने कराया है लेकिन अंडर पास की ऊंचाई कम होने और सड़क के ज्यादा नीचे हो जाने के कारण यहां शुरू से ही जल जमाव होता रहा है. लोगों ने बताया कि रेल प्रबंधन की ओर से तालाब में मछली पालन का काम भी कराया जाता है. मछली तालाब से बाहर नहीं निकले इस वजह से जाल लगा दिया गया है. जिस कारण पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. अहम सवाल यह कि आखिर क्यों नहीं रेलवे अंडरपास निर्माण के समय पानी की निकासी का ध्यान रखा गया ताकि सड़क पर जल जमाव के कारण यातयात प्रभावित नहीं हो.इस संबंध में आसनसोल रेल डिवीजन के डीएम अमरीश मोहन से फोन पर बात करने पर उन्होंने कहा कि त्रुटि कहां हुई है, उसकी जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि रेलवे के अधिकारी स्थल का निरीक्षण पहुंचेंगे और जल्द ही जल जमाव की समस्या से लोगों को निजात दिलाया जाएगा.