आँखों के अहसास में
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हम आँखों से देखते, जग के कारोबार।
सदा देखता जग हमें, दिन में सौ सौ बार।।
सूखे दिल में तब खुशी, होती है आबाद।
अगर अचानक हो कहीं, आँखों से सम्वाद।।
खेल रहीं रुखसार पे, लटें अदा ले खास।
ऑंखें भी गहरी मगर , काजल बिना उदास।।
हम जीवन भर देखते, जीवन के नव-रूप।
दूर छाँव से जिन्दगी, बस आँखों में धूप।।
प्रेम परस्पर दान है, इसमें क्या अहसान?
आँखों के अहसास में, रिश्तों का विज्ञान।।
रोटी भी दूभर जहाँ, वहाँ सिखाते योग।
आँखों में पानी अगर, करो उचित सहयोग।।
जाँच परखकर ही रखो, दुखती रग पे हाथ।
लाज शेष हो आँख में, चलो सुमन के साथ।।
श्यामल सुमन
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