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झारखंड में नक्सलियों के निशाने पर सरकारी स्कूल लगा रहे सिलेंडर बम

झारखंड के चाईबासा जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित सरकारी स्कूल से सुरक्षाबलों ने दो शक्तिशाली सिलेंडर बम बरामद किया हैं. नक्सलियों ने सिलेंडर बम को स्कूल की दीवार के अंदर लगा कर रखा था अगर इसमें विस्फोट होता है तो स्कूल की बिल्डिंग गिर जाती है

रांची: झारखंड में नक्सल अभियान में लगे सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए नक्सली अब किसी भी हद से गुजरने को तैयार हैं. अभियान के दौरान थके-मारे सुरक्षा बल कभी-कभार सरकारी स्कूलों में पनाह लेते हैं. ऐसे में अब नक्सलियों ने एक बार फिर से सरकारी स्कूलों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. झारखंड पुलिस को यह सूचना मिली है कि कोरोना संक्रमण की वजह से बंद पड़े सरकारी स्कूलों में बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने आईईडी बम लगाए हैं, ताकि वे सुरक्षाबलों को निशाना बना सकें.
चाईबासा जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित सरकारी स्कूल से सुरक्षाबलों ने दो शक्तिशाली सिलेंडर बम बरामद किया है. नक्सलियों ने ब्लेंडर बम को स्कूल की दीवार के अंदर लगा कर रखा था. अगर इसमें विस्फोट होता है तो स्कूल की बिल्डिंग गिर जाती. हालांकि, समय रहते बम को निष्क्रिय कर दिया गया
वहीं दूसरी तरफ स्कूल में बम मिलने की वजह से झारखंड पुलिस की चिंता बढ़ गई है. दरअसल लॉकडाउन का फायदा उठाकर नक्सलियों ने कितने सरकारी स्कूलों में बम लगाए हैं. यह पहचान करना बेहद मुश्किल भरा काम है. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता साकेत कुमार सिंह के अनुसार वर्तमान में नक्सलियों के पास कोई भी आइडियोलॉजी नहीं बची है. स्कूलों में बम लगाना उसी को दर्शाता है. पुलिसिया अभियान की वजह से लगातार नक्सलियों को मुंह की खानी पड़ रही है. इस वजह से वे सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए किसी भी हद से गुजरने को तैयार हैं.
झारखंड में बेमौसम बरसात और वज्रपात आम बात है. खासकर जंगली इलाकों में बहुत ज्यादा वज्रपात की घटनाएं सामने आती रहती हैं. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान साकेत कुमार सिंह के अनुसार कभी-कभी तेज लाइटनिंग की वजह से भी जमीन के अंदर लगाए गई आईईडी में विस्फोट हो जाता है. ऐसे में अगर बमों को समय रहते निष्क्रिय नहीं किया गया तो इसके निशाने पर स्कूली बच्चे आ सकते हैं.
पूरे झारखंड में एक मार्च से स्कूल खुलने वाले हैं. नक्सल प्रभावित जिलों के स्कूल भी एक मार्च से खुल जाएंगे. ऐसे में पुलिस के सामने स्कूलों में लगे आईईडी बम बड़ी चुनौती है. झारखंड में मौसम कभी भी करवट ले लेता है और बारिश के साथ-साथ लाइटनिंग भी जबरदस्त होती है. ऐसे में अगर किसी भी स्कूल में बम लगा हो और वहां बच्चे पढ़ाई कर रहे हों और लाइटनिंग की वजह से विस्फोट होता है तो कई बच्चों की जान जा सकती है.

झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने बताया कि नक्सलियों ने स्कूलों में बम तो सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए लगाए हैं लेकिन इसकी चपेट में कोई भी आ सकता है ऐसे में बम निरोधक दस्ते की टीम को यह निर्देश दिया गया है कि वह जल्द से जल्द स्कूलों में बमों को खोजना शुरू करें ताकि अगर किसी स्कूल में बम लगा भी हो तो उसे समय रहते निष्क्रिय कर दिया जाए.
झारखंड में नक्सलवाद की शुरुआत के बाद उसके खात्मे के लिए केंद्रीय बलों का झारखंड में आगमन हुआ. उस दौरान सुरक्षाबलों के रहने के लिए बहुत कम कैंप थे तो वे नक्सल प्रभावित जिलों में पढ़ने वाले स्कूलों में ही डेरा जमाते थे. उसी समय से नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए स्कूलों में बम लगाना शुरू किया. हालांकि साल 2006 के बाद सुरक्षा बलों के लिए अस्थाई कैंप का निर्माण होना शुरू हुआ और अब कभी कभार ही सुरक्षा बल सरकारी स्कूलों में पनाह लेते हैं.

लॉकडाउन का नक्सलियों ने उठाया फायदा
कोरोना संक्रमण की वजह से जब लॉकडाउन लगा तो उस दौरान नक्सलियों के खिलाफ अभियान भी थोड़ा मंद पड़ गया था. इसी का फायदा उठाते हुए नक्सलियों ने ऐसे ही स्कूलों को टारगेट करना शुरू किया जहां कभी-कभार सुरक्षा बल पनाह लेते थे. अब तक नक्सलियों ने किन-किन स्कूलों को अपना टारगेट बनाया है, इसकी जानकारी हासिल करना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है. हालांकि झारखंड पुलिस के अधिकारियों ने दावा किया है कि स्कूल खोलने से पहले नक्सल प्रभावित जिलों में स्थित स्कूलों को पूरी तरह से चेक कर लिया जाएगा. उसके बाद ही वहां बच्चों की पढ़ाई शुरू की जाएगी.