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22 फरवरी से प्रारंभ हुआ पर्यावरण मेला तीन मार्च को संपन्न हो जाएगा

रांची – 22 फरवरी से प्रारंभ हुआ पर्यावरण मेला तीन मार्च को संपन्न हो जाएगा। तीन मार्च को मेले का समापन है। समापन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो मौजूद रहेंगे।
इससे पूर्व आज नाट्य संस्था ‘एक्सपोजर के सौजन्य से और  बसंत सबनीय द्वारा लिखित एवं  संजय लाल द्वारा निर्देशित सुप्रसिद्ध नाटक ‘‘सैंया भए कोतवाल’’ का मंचन किया गया।  संजय लाल ने नाटक के दौरान दर्शकों से कहा कि थिएटर में दर्शकों का सीधा संबंध कलाकारों से होता है। वहां जो परफेक्शन मिलता है, वह फिल्मों में नहीं मिलता। आप समझ सकते हैं, नसीरुद्दीन शाह, मनोज बाजपेयी, पंकज त्रिपाठी, ओम पुरी, अमरीशपुरी, शबाना आजमी जैसे जितने भी दिग्गज कलाकार हुए हैं इस देश में, उन सभी का बैकग्राउंड थिएटर ही था। झारखंड में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। एक से एक प्रतिभावान लोग हैं।
ओटीटी के दौर में भी थिएटर लुप्त नहीं हुआ है यदि हम दिखाएंगे तो लोग देखेंगे। हम दिखाना भी चाहते हैं, लोग देखना भी चाहते हैं पर देखने और दिखाने की जगह भी तो होनी चाहिए। दुनिया भर के लोग थिएटर देख रहे हैं। ओटीटी के पहले सिनेमा हॉल हैं। फिल्म देखने वाले फिल्म देखते हैं। नाटक देखने वाले नाटक देखते हैं। यह अपनी-अपनी पसंद है। संस्कार भारती और इप्टा इस क्षेत्र में लोकप्रिय है। इसका मतलब है कि नाटक देखने के शौकीन लोग हैं। बस जरूरत है हमें इंफ्रास्ट्रक्चर देने की।
वहीं दूसरी ओर लोकगायिका शारदा सिन्हा को अपना प्रेरणास्त्रोत मानने वाली और लगभग तीन दशक से गायन कर रही सुलेखा रमैया ने भोजपुरी गीत से मेला का शमां बांध दिया। अपने गायन के बीच में उन्होंने कहा कि कलाकार भावुक होता है और जो देखता है, वही शब्दों में व्यक्त करता है, गुनगुनाता है। साहित्य तो समाज का आईना है। गीत-संगीत भी तो साहित्य का ही हिस्सा है।