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वित्त मंत्री को बताना चाहिए कि आखिर अच्छे दिन किसके लिये आए हैं? बजट २०२४

वित्त मंत्री को बताना चाहिए कि आखिर अच्छे दिन किसके लिये आए हैं? बजट २०२४

जमशेदपुर- बब्लू झा ज़िला उपाध्यक्ष ने बजट पर अपनी प्रक्रिया देते हुए कहा की वित्त मंत्री ने गरीबों और मध्यम वर्गों लिए कोई नई योजनाएँ लाएगी। उनकी तकलीफ़ों को कम करने के लिए कुछ घोषणाएँ होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ हरेक साल की तरह मोदी सरकार का अंतरिम बजट केवल रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल था  इसमें ठोस कुछ नहीं था बड़े-बड़े और खोखले दावे करना इस सरकार की आदत है।

वित्त मंत्री ने  बजट 2024 में कहा कि वे 2014 और 2024 की तुलना करने के लिए सफेद कागज सदन में रखेंगी। तो उनको बताना चाहिए कि पिछले 10 सालों में सरकार के  द्वारा जितने वादे किए गए, उनमें से कितने पूरे हुए? कितने बाक़ी हैं? बजट में उन वादों का कोई ज़िक्र नहीं था ।सालाना 2 करोड़ नौकरियाँ, किसानों की आय दोगुनी करना, 2022 तक सभी को पक्का घर, 100 स्मार्ट सिटी, यह सभी वादे आज तक पूरे नहीं हुए। 2014 में जो कृषि विकास दर 4.6% था, वह इस साल 1.8% कैसे हो गया। यूपीए के दौरान हमारी खेती 4% औसत से बढ़ती थी, वह आधा क्यों हो गया? क्यों 31 किसान हर रोज़ आत्महत्या करने पर मजबूर हैं?2014 में शिक्षा का बजट जो कुल बजट का 4.55% था, वह गिरकर 3.2% कैसे हो गया? एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिलाओं के लिए योजनाओं का कुल बजट की तुलना में लगातार क्यों गिर रहा है? रक्षा बजट और स्वास्थ्य बजट में लगातार गिरावट क्यों जारी है?
पूरे बजट में नौकरियां शब्द केवल एक बार इस्तेमाल किया गया है। बब्लू झा ने कड़ी शब्दों में बताया की बेरोज़गारी 45 साल में सबसे अधिक क्यों हैं? 20-24 साल के युवाओं की बेरोज़गारी 45% पर क्यों है? मोदी सरकार ने 3 करोड़ से ज़्यादा लोगों की नौकरियां क्यों छीनी? हर महीने पेपर लीक क्यों होते हैं?आसमान छूती महंगाई से हर कोई परेशान है। ज़रूरी वस्तुओं पर 5% से18% जीएसटी क्यों लगाया? आटा, दाल, चावल, दूध, सब्ज़ियों के दाम क्यों बढ़ते जा रहें हैं? यह बताने वाला कोई नहीं है।वित्त मंत्री दावा करती हैं कि आम आदमी की आय बढ़ी है। यह झूठ है, सच है कि पिछले 5 वर्षों में ग्रामीण भारत का वेतन घटा है। ग्रामीण दिहाड़ी 10 सालों में बढ़ने के बजाय गिरी है। वित्तमंत्री  ने पूरे बजट के भाषण में मनरेगा का नाम तक नहीं लिया। क्योंकि यूपीए के वक़्त 100 दिन का काम मिलता था, वह अब केवल साल में 48 दिन रह गया है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय का बजट भी कुल बजट की तुलना में इस सरकार ने कम किया है। भारत में महिला श्रम बल भागीदारी की दर 2005 में 30% पर था वह अब 24% पर क्यों गिर गया?
कॉंग्रेस यूपीए के दौरान देश का औसत आर्थिक विकास दर जो नया सीरीज के मुताबिक, 8% पर था, वह इस सरकार में लुढ़क कर 5.6 % पर क्यों पहुँच गया?जब से मोदी सरकार बनी है, तब से बस बड़े-बड़े सपने दिखाने का काम हो रहा है। नाम बदल बदल कर योजनाएँ शुरू करना होता है। लेकिन यह नहीं बताया जाता कि पुराने वादों का क्या हुआ? जो नये सपनों को दिखाए जा रहे, वह कैसे पूरा होगा?

दरअसल किसी भी बजट के दो काम होते है: एक पिछले साल का ब्योरा होता है और दूसरा आने वाले साल के लिए दृष्टि होता है। इस बजट में यह दोनों ही चीजें गायब है।