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विधानसभा में हुई नियुक्तियों में अनियमितता की जाँच के लिए गठित जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल होते ही झारखंड सरकार की अस्थिरता का दौर आरम्भ

रांची- विधानसभा में हुई नियुक्तियों में अनियमितता की जाँच के लिए गठित जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल होते ही झारखंड सरकार की अस्थिरता का दौर आरम्भ हो जाएगा. कारण कि इस मामले मे अन्य अभियुक्तों के साथ ही वर्तमान संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम जो पहले विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं के विरूद्ध भी सरकार कार्रवाई शुरू करने के लिए बाध्य हो जाएगी. अन्यथा संभव है कि स्वतंत्र उच्चस्तरीय आपराधिक जाँच का सामना इन्हें करना पड़े. जस्टिस विक्रमादित्य आयोग ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं, यथा 120(A), 166, 167, 196, 464 के तहत जिन दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई करने की अनुशंसा की है, उनमें विधानसभा के वर्तमान प्रभारी सचिव के साथ ही पूर्व विस अध्यक्ष एवं वर्तमान संसदीय कार्य मंत्री भी शामिल हैं.

विधानसभा नियुक्तियों में गड़बड़ घोटाला का खुलासा श्री राय ने 11 सितंबर 2007 को बोकारो में किया था और कहा था कि इस संबंध में सबूत की सीडी मेरे पास है. 12 सितंबर 2007 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम ने सीडी एवं अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए मुझे पत्र लिखा. 13 सितंबर 2007 को कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने नियुक्ति घोटाला से संबंधित सीडी सार्वजनिक करने की माँग मुझसे की. तब मैंने सीडी सार्वजनिक कर दिया.जाँच के लिए राधा कृष्ण किशोर के सभापतित्व में विधानसभा समिति बनी. वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो भी जाँच समिति के सदस्य थे. समिति ने जाँच प्रतिवेदन में घोटाले की जाँच स्वतंत्र जाँच समिति से कराने का मंतव्य दिया. तब से जस्टिस विक्रमादित्य आयोग का जाँच प्रतिवेदन 2018 में आने की जानकारी सभी को है.
हाईकोर्ट ने जस्टिस विक्रमादित्य आयोग का प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं करने को गंभीरता से लिया है. सभा सचिव से अगले माह इसे प्रस्तुत करने के लिए कहा है.श्री राय ने जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की अनुशंसा के बिन्दुओं को संक्षेप में सार्वजनिक किया है