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उपचुनाव के आते ही मधुपुर को जिला बनाने की मांग ने पकड़ी जोर कई मुद्दों को लेकर गरमायी सियासत

उपचुनाव के आते ही मधुपुर को जिला बनाने की मांग ने पकड़ी जोर कई मुद्दों को लेकर गरमायी सियासत

देवघर के मधुपुर उपचुनाव में कई मुद्दे चर्चा में हैं. 17 अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले मधुपुर को जिला बनाए और पलायन समेत कई मुद्दे सियासी गलियारे का केंद्र बने हुए हैं.

देवघर: मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए 17 अप्रैल को मतदान होने वाला है. मधुपुर में पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, सिंचाई, रोजगार और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों की शुरू से कमी रही है. रोजी-रोजगार की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से पलायन करना यहां की बड़ी समस्या रही है. मधुपुर नगर परिषद होने के बाद भी शहरी क्षेत्र के लोगों को हमेशा पेयजल, साफ सफाई, ड्रेनेज सिस्टम और यातायात की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है.
देवघर जिला का अनुमंडल मुख्यालय होने के बाद अब इसे जिला बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. मधुपुर, दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है. पिछले कुछ सालों में शहरी आबादी में हुए अचानक इजाफे से रेल ओवरब्रिज की मांग भी की जा रही है, जिसका निर्माण भी कराया जा रहा है.
देवघर जिले का मधुपुर विधानसभा क्षेत्र झारखंड के हाई प्रोफाइल विधानसभा क्षेत्रों में से एक माना जाता है. बता दें कि मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 3 लाख 21 हजार 193 हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 1 लाख 69 हजार 754 हैं और महिला मतदाता 1 लाख 51 हजार 439 मतदाता हैं. इसके अलावा मधुपुर विधानसभा में जातीय समीकरण में तकरीबन मुस्लिम समाज के 94 हजार मतदाता हैं, तो दलित 55 हजार मतदाता हैं.
वहीं आदिवासियों की अगर बात करें तो 40 हजार की संख्या में मतदाता हैं. 487 मतदान केंद्रों में से 384 भवनों को मतदान के लिए चिन्हित किया गया है. अन्य में ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, वैश्य इत्यादि की संख्या 1.32 लाख है.
1985 और 1990 में कांग्रेस के टिकट पर कृष्णानंद झा चुनाव जीते थे. इसके बाद सीट पर जेएमएम का दबदबा रहा है. इसके बीच में बीजेपी ने 2014 में चुनाव जीता था और 2019 में फिर से जेएमएम की झोली भर गई. अब 2020 में हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद से यहां उपचुनाव होने लगा है.