झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

टूटन गाँव, समाज में

टूटन गाँव, समाज में
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बादल फटते हैं जहाँ, लोग वहाँ बेहाल।
अब मँहगाई फट रही, आमलोग कंगाल।।

कोशिश में सब लोग हैं, बची रहे पहचान।
मँहगीं सारी चीज हैं, सस्ता इक इन्सान।।

एक प्रवृति बढ़ रही, खतरनाक है खास।
लोगों में नित घट रहा, आपस का विश्वास।।

टूटन गाँव, समाज में, टूटे घर में लोग।
जाति-धरम टूटा नहीं, बहुत भयानक रोग।।

बोल रहे हैं आप जो, क्या जी पाते आप?
केवल अच्छा बोलना, बिना कर्म के पाप।।

जीवन से हम सीखते, रोज अनूठी बात।
नेक राह पर चल सकें, उन्नत हो जज्बात।।

हर परिजन का मान हो, घर को रखें सहेज।
दुलहन ही सचमुच सुमन , लक्ष्मी और दहेज।।

श्यामल सुमन