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तीन मार्च को कोलकाता उच्च न्यायालय के एक अधिवक्ता की मृत्यु होने के कारण माननीय न्यायायिक सदस्य बिदिसा बनर्जी और तकनीकी सदस्य बलराज जोशी की एनसीएलएटी की बेंच में इंकैब इंडस्ट्रीज मामले की सुनवाई नहीं हो सकी

तीन मार्च को कोलकाता उच्च न्यायालय के एक अधिवक्ता की मृत्यु होने के कारण माननीय न्यायायिक सदस्य बिदिसा बनर्जी और तकनीकी सदस्य बलराज जोशी की एनसीएलएटी की बेंच में इंकैब इंडस्ट्रीज मामले की सुनवाई नहीं हो सकी

लेकिन आज की सुनवाई में मजदूरों के प्रतिनिधि भगवती सिंह माननीय एनसीएलटी के माननीय सदस्यों के समक्ष सशरीर उपस्थित हुए और माननीय सदस्यों से इंतजा करने की इजाजत मांगी। माननीय सदस्यों द्वारा इजाजत देने पर उन्होंने माननीय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी को बताया कि इंकैब कंपनी को बायफर द्वारा 4.4.2000 को रूग्ण घोषित किये जाने या माननीय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी द्वारा अपने 7.2.2020 के आदेश द्वारा परिसमापन (liquidation) का निर्देश देने के बाद कभी किसी नेता या ट्रेड युनियन ने इस कंपनी के पुनरूद्धार के लिए कोई पहल कदमी नहीं ली बल्कि सिर्फ कुछ मजदूरों ने मिलकर एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के 7.2.2020 के आदेश के खिलाफ माननीय एनसीएलएटी और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लड़ाई लड़ी और हमारे अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने हम मजदूरों का सभी माननीय अदालतों में प्रतिनिधित्व किया और जीत हासिल की। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि जब आज इंकैब कंपनी को पुनरूद्धार करने की प्रक्रिया माननीय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष माननीय एनसीएलएटी और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के आलोक में चल रही है तब कुछ तथाकथित नेता और युनियन हमारे अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव पर अदालत में झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं और हमारे अधिवक्ता को बदनाम कर चाहते हैं कि वे इस मामले से हट जाएं।
ज्ञातव्य है कि राम विनोद सिंह नाम का एक व्यक्ति जो खुद को इंकैब कर्मचारी युनियन का नेता बताता है उसने जब माननीय एनसीएलएटी का 31.01.2023 का आदेश मजदूरों के पक्ष में आया था तब अखबारी वक्तव्य के द्वारा अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव पर अदालतों में झूठ बोलने का भद्दा आरोप लगाया और फिर वही बात पिछली सुनवाई में माननीय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष भी कहा था जिस पर माननीय न्यायायिक सदस्य बिदिसा बनर्जी और तकनीकी सदस्य बलराज जोशी ने गंभीर आपत्ति जताई थी और राम विनोद सिंह नामक उक्त व्यक्ति को दूबारा ऐसी गलती करने से मना किया था।
भगवती सिंह ने आज बयान जारी कर कहा कि राम विनोद सिंह नाम का व्यक्ति कभी किसी ट्रेड युनियन का प्रतिनिधि नहीं रहा है न ही इसे मजदूरों का समर्थन रहा है। यह आदमी टाटा का दलाल रहा है। इसी के मार्फत टाटा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 2007 में कुछ मजदूरों को गुमराह का एक रिट पिटीशन लगवायी थी और माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उसे अपने 6.1.2016 के आदेश द्वारा इंकैब का अधिग्रहण करने का आदेश देने के बाद भी टाटा ने इंकैब का अधिग्रहण नहीं किया बल्कि राज्य सरकार के मंत्रियों और नेताओं के मार्फत इंकैब की जमीन गैरकानूनी तरीके से कब्जा करने की कोशिश की और आज भी कर रही है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव अगर माननीय एनसीएलएटी और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में मजदूरों की लड़ाई नहीं जीतते तो अब तक टाटा मजदूरों के घरों को ध्वस्त कर इंकैब की 177 एकड़ जमीन कब्जा कर लेती। उन्होंने कहा कि वैसे भी टाटा उपायुक्त, अनुमंडलाधिकारी और सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की मदद से इंकैब की लगभग 3 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर सड़क बना चुकी है जिसके खिलाफ जमशेदपुर, सिविल कोर्ट में फौजदारी मामला विचाराधीन है।
उन्होंने कहा कि टाटा, रमेश घमंडीराम गोवानी और उनके दलाल अपने कुत्सित कोशिशों से बाज आयें नहीं तो मजदूर उन्हें उनकी भाषा में उन्हें जवाब देंगे।