झारखण्ड वाणी

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स्वयं सिद्धा का लोकार्पण सह फुरसत में समूह का स्थापना दिवस समारोह

स्वयं सिद्धा का लोकार्पण सह फुरसत में समूह का स्थापना दिवस समारोह

जमशेदपुर- वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की संस्था फुरसत में ने अपनी स्थापना के नौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में तुलसी भवन के प्रयाग कक्ष में एक साहित्यिक समारोह का आयोजन किया गया सभी अतिथियों का स्वागत तिलक लगाकर किया गया।
मुख्य अतिथि डा रागिनी भूषण तथा मुख्य वक्ता सह विशिष्ट अतिथि डा मनोज पाठक आजिज तथा तुलसी भवन के मानद सचिव.डा प्रसेनजित तिवारी के द्वारा वीणा पाणि सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया गया और सरस्वती वंदना वीणा पाण्डेय *पिला कर ज्ञान का प्याला
मेरे जीवन में आओ माँ
करूं नित वंदना तेरी
मेरे उर में समाओ माँ।के.मधुर स्वरों के साथ
छाया प्रसाद के द्वारा गाये गये स्वागत गीत *सु स्वागतम शुभ स्वागतम है श्रेष्ठ आप, विशेष भी, विशिष्ट भी, देवोवभम् सुस्वागतम सुस्वागतम
ने समां बांध दिया।
इस अवसर पर दस महिला सदस्य रचनाकारों के साझा संकलन स्वयं सिद्धा का लोकार्पण भी हुआ जिसका संपादन संस्था की अध्यक्ष वरिष्ठ कथाकार पद्मा मिश्रा तथा संरक्षक.वरिष्ठ कथाकार डा सरिता किशोरी श्रीवास्तव ने किया है नारी विमर्श पर आधारित इस संकलन में समाज में नारी की स्थिति उनके संघर्ष और चुनौतियों पर अनेक प्रश्न और उनके समाधान भी है और आशावादी सोच भी
संस्थापक अध्यक्ष वरिष्ठ कवयित्री कथाकार आनंद बाला शर्मा ने सभी सदस्यों और अतिथियों को आशीष अक्षत के रुप में अपने संबोधन में कहा फुरसत में समूह की स्थापना दिवस की वर्षगाँठ के अवसर पर मैं आप सबको बधाई एवं शुभकामनाएँ देती हूँ। आप सबके योगदान के फलस्वरूप ही यह समूह निरन्तर प्रगति के पथ पर है। स्वयं सिद्धा कहानी संग्रह के लोकार्पण के लिए भी सबको हार्दिक बधाई देकर फुरसत में’ समूह के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। संस्था की संरक्षक एवं पुस्तक की सह संपादक डा सरिता किशोरी श्रीवास्तव नारी जीवन के संघर्ष को रेखांकित करते हुए जीवन के हर क्षेत्र में विजयिनी नारियों को स्वयं सिद्धा बताया जो आज भी कहीं न कहीं जूझ रही हैं समाजिक वर्जनाओं से
संस्था की वर्तमान अध्यक्ष पद्मा मिश्रा का कहना था कि इन कथाकारों की सशक्त कलम से निकली ये कहानियाँ एक दिन उनकी खुले आसमान में उन्मुक्त विचरण करने की चाहत को नये पंख देंगी और उन्हें जीवन के हर संघर्ष को जीतकर अपना आसमान खुद गढने की प्रेरणा भी
विशिष्ट वक्ता डा.मनोज पाठक आजिज ने सभी कथाकारों के लेखन की सराहना करते हुए नारी विमर्श की सभी कहानियों को समाज और नारी के उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया.और महिलाओ के त्याग. संघर्ष और सामाजिक योगदान को देश का गौरव कहा।उन्होने पश्चिमी और भारतीय नारी विमर्श की तुलना करते हुए कहा कि पश्चिम का विमर्श पर आधारित है जबकि भारतीय इमोशनल पर इस दृष्टि से यह पुस्तक महत्वपूर्ण है। वरिष्ठ साहित्यकार एवं मुख्य अतिथि डा रागिनी भूषण ने महिलाओं के सृजन की सराहना की और सृजन को मां भारती के चरणो में समर्पित युष्पों की संज्ञा दी
राम कथा उत्सव प्रश्नोत्तरी के विजेता आदित्यपुर साहित्यकार संघ के सदस्य भी उपस्थित थे डा रत्ना मानिक. मनीष वंदन. श्वेत लता.एवं प्रभाष झा को भी अंग वस्त्रम और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया
विशिष्ट अतिथि एवं तुलसी भवन के मानद सचिव. प्रखर वक्ता डा प्रसेनजित तिवारी का कहना था कि महिलायें राष्ट्रीय गौरव होती हैं वे त्याग.करुणा और समर्पण की अदभुत मिसाल हैं.जिससे कभी उऋण नहीं हुआ जा सकता।
साझा संकलन में.शामिल सभी कथाकारों को स्वयं सिद्धा सम्मान देकर सम्मानित किया गया पद्मा मिश्र. सरिता किशोरी श्रीवास्तव. छाया प्रसाद. आनंद बाला शर्मा. गीता दुबे.रेणुबाला मिश्र. मीनाक्षी कर्ण..मनीला कुमारी अनीता
निधि.उमा सिंह आदि सभी सदस्यों को भी स्मृति चिह्न अंग वस्त्रम और प्रशस्ति पत्र दिये गये कार्यक्रम के अंत में वीणा पाण्डेय रचित एक कविता भी पढी गई जो संस्था को समर्पित थी.धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ कथाकार कवयित्री माधुरी मिश्रा ने किया।