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स्थायी डीजीपी मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी राज्य सरकार यूपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट जाने का दिया था सुझाव

स्थायी डीजीपी मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी राज्य सरकार यूपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट जाने का दिया था सुझाव

झारखंड में नियमित डीजीपी नियुक्ति के लिए यूपीएससी से पैनल मांगने के मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी. इससे पहले यूपीएससी ने सरकार को सलाह दिया था कि राज्य सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से निर्देश गाइडलाइन लाए.

रांची: झारखंड में नियमित डीजीपी नियुक्ति के लिए यूपीएससी से पैनल मांगने के मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी. इससे पहले यूपीएससी ने सरकार को सलाह दिया था कि राज्य सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से निर्देश (गाइडलाइन) लाए. राज्य सरकार के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में विधिक राय लेने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट नहीं जाने का फैसला किया है. हालांकि पूरे मामले की अधिकारिक पुष्टि अधिकारियों ने नहीं की है.
जानकारी के मुताबिक, नियमित डीजीपी के लिए पैनल को यूपीएससी ने चौथी बार लगातार लौटा दिया है. इससे पहले यूपीएससी ने दो सालों के लिए मई 2019 में पैनल भेजा था. इस पैनल में तीन वरीयतम अधिकारियों के नाम थे. इन नामों में से कमलनयन चौबे को सरकार ने डीजीपी बनाया था लेकिन 15 मार्च 2020 को राज्य सरकार ने नौ माह के कार्यकाल के बाद कमलनयन चौबे को हटा दिया था. कमलनयन चौबे को हटाने के बाद एमवी राव को राज्य सरकार ने प्रभारी डीजीपी बनाया था. अगस्त 2020 में सरकार ने पैनल बनाने के लिए छह अफसरों के नाम यूपीएससी को भेजे थे, लेकिन यूपीएससी ने तब पैनल वापस कर दिया था. बाद में अपने पत्र में यूपीएससी ने सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाकर गाइडलाइन लाने की सलाह दी.

गौरतलब है कि पूर्व में डीजीपी के पद से कमल नयन चौबे को हटाकर एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट गया था, जो खारिज हो गया था. इसके बाद राज्य सरकार ने यूपीएससी को डीजीपी पैनल के लिए आइपीएस अधिकारियों के नाम भेजे थे, लेकिन यूपीएससी ने यह कहते हुए उसे लौटा दिया था कि जिस मामले में एक साल पहले विचार किया जा चुका है, उसमें इतनी जल्दी विचार नहीं किया जा सकता है. डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए होती है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद ही समय से पूर्व डीजीपी के पैनल पर विचार होगा.