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समस्तीपुर शहर के प्रसिद्ध डेंटल हॉस्पिटल अपोलो डेन्टल में एक जटिल ऑपरेशन हुआ सफल

समस्तीपुर शहर के प्रसिद्ध डेंटल हॉस्पिटल अपोलो डेन्टल में एक जटिल ऑपरेशन हुआ सफल

बिहार के समस्तीपुर जिले के चीनी मिल परिसर के निकट अपोलो डेन्टल के निदेशक प्रमुख डॉ ज्ञानेंद्र कुमार बताते हैं कि 17 वर्षीय सचिन कुमार नामक मरीज जो की असहनीय दर्द से परेशान होने के कारण ठीक से अपना पढ़ाई नहीं कर पा रहा था और बताया कि पटना, दरभंगा,मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर आदि जगहों पर अपना दांत का इलाज करवा चुका है लेकिन दर्द ठीक नहीं हो रहा है जब उसका ऑपीजी करवाया गया तो पाया कि उसके मुंह में नीचे के जबड़ा में सामान्य से अधिक दात है,वैसे तो इंसान के मुंह में आमतौर पर 32 दांत ही होते हैं,लेकिन गिनती से ज्यादा पाए जाने वाले दांतों को अधिसंख्य दंत कहा जाता है।
आगे डॉ ज्ञानेंद्र कुमार बताते हैं कि अधिसंख्य दांत मुंह में फालतू दाँत के होने को कहते हैं। इस स्थिति को हाइपरडॉनशिया भी कहते हैं और यह वह स्थिति है जिसमें एक या एक से अधिक दांत साधारण दांत की गिनती में जुड़ जाते हैं। यह असामान्यता किसी भी व्यक्ति में पाए जा सकती है परन्तु ऐसे सूचित किया गया है कि पुरुष इस असामान्यता से ज्यादा त्रस्त होते हैं महिलाओं के मुकाबले। इस स्थिति को जन्म देने वाले पर्यावरणीय कारकों के कुछ प्रमाणों के साथ-साथ वंशानुगत कारकों के प्रमाण हैं। जबकि एक अतिरिक्त दांत अपेक्षाकृत सामान्य है, अन्य संबंधित बीमारियों या सिंड्रोम वाले लोगों में एकाधिक हाइपरडोंटिया दुर्लभ है। कई अलौकिक दांत कभी नहीं निकलते हैं, लेकिन वे आस-पास के दांतों के निकलने में देरी कर सकते हैं या अन्य दंत या ऑर्थोडोंटिक समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
इलाज के बारे में अपोलो डेन्टल के चिकित्सक डॉ दयानन्द कुमार बताते हैं की अधिसंख्य दांत बहुत से अनुवांशिक कारणों और पर्यावरण में बदलाव के कारण हो सकते हैं। कभी भी एक फालतू दंत के कारण कोई तकलीफ नहीं होती मनुष्य को बस अधिसंख्य दांत के कारण कभी कभी अधिसंख्य दांत देर से उत्पन्न होते हैं या कभी उत्पन्न ही नहीं हो पाते। और एक दंत की संख्या ज्यादा होना साधारण बात है परन्तु अधिसंख्य दांत कम से कम लोगो में ही पाए जाते हैं। इसका भी सर्जरी के मध्यम से सफलता पूर्वक सभी अतरिक्त दांत निकाल दिया गया, बताते चलें की इस मरीज का उसी जगह(जबड़ा) से पहले भी दात निकाला जा चुका है।इस सफल सर्जरी को डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार, डॉ दयानन्द कुमार, डॉ फारूख आजमी, डॉ सोनिका कुमारी, धर्मदेव, सीमा कुमारी ने मिल कर सफल अंजाम