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शिक्षकों के ऊपर अतिरिक्त और बेवजह का तनाव डालने वाला आदेश है, जो कहीं से भी न्याय संगत नहीं है बल्कि प्रताड़ना सदृश्य है

बिहार सरकार के मध्यान्ह भोजन योजना के निदेशक के द्वारा एक अकल्पनीय आदेश पारित किया गया है। जिसमें खाद्यान्न के खाली गनी बैग से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया गया है। सभी जिला को गनी बैग बिक्री से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन जमा करने के लिए कहा गया है।

भारतीय जन महासभा के अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने भारी रोष प्रकट करते हुए कहा है कि यह कैसा आदेश है ? गनी बैग की जितनी कीमत नहीं आएगी, उससे कई गुना अधिक शिक्षकों के समय की बर्बादी होगी। उनको पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास की ओर भी ध्यान देना है। सरकार आखिर चाहती क्या है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो और वह मशीनी बच्चे बनकर रह जाए। यह आदेश बिहार सरकार की अदूरदर्शिता को उजागर करता है। उन्होंने
कहा कि कई गनी बैग चूहे कुतर देते हैं। पानी वगैरह गलती से भी पड़ जाने से सड़ जाते हैं। कुछ सफाई कर्मी भी मांग लेते हैं। कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां बच्चों के बैठने के भी काम में आता है। कितने ही गनी बैग पहले से ही क्षतिग्रस्त आते है और तिमाही आवंटन की प्रक्रिया में रखे-रखे और भी क्षतिग्रस्त हो चुके होते है। ऐसे में कोई खरीददार भी नही मिलता। फिर हेडमास्टर साहब कौन सा गनी बैग बेच कर पैसा विभाग को दे? यह शिक्षकों के ऊपर अतिरिक्त और बेवजह का तनाव डालने वाला आदेश है, जो कहीं से भी न्याय संगत नहीं है बल्कि प्रताड़ना सदृश्य है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को कई प्रकार के कार्य दिए जाते हैं। ऐसे में शिक्षक पढ़ाएंगे कब ? इसलिए ऐसे निरर्थक आदेश को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।