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सीएए की आड़ में नीचा दिखाना बुरा : कुलविंदर

सीएए की आड़ में नीचा दिखाना बुरा : कुलविंदर
बीजेपी समझे असम मुख्यमंत्री को विरोध

जमशेदपुर। राष्ट्रीय सिख सभा के संयोजक अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने सीएए लागू कर सराहनीय कार्य किया है किंतु इसकी आड़ में किसी धर्मावलंबी को नीचा दिखाना बुरा है।
1947 के विभाजन की भयावह त्रासदी में 10 लाख से ज्यादा हिंदू सिख मारे गए थे। 1947 के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान से हिंदू एवं सिखों का भारत में आने का सिलसिला जारी है। बांग्लादेशी हिंदुओं के भारत में आने के कारण ही असम में छात्र आंदोलन हुआ और आज भी इसका प्रभाव है और वहां के मुख्यमंत्री खुलेआम किसी को नहीं आने देने की धमकी देने को विवश हैं।
जिस प्रकार भारत में रहने वाले सभी लोग चाहे बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक, हम मातृभूमि के प्रति निष्ठा रखने का पाठ पढ़ते हैं और संकल्प दृढ़ करते हैं। यही पाकिस्तान बांग्लादेश अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं सिखों बौद्ध पर भी लागू होती है।
आज भारत विश्व में एक मजबूत देश के तौर पर उभर कर सामने आया है और हम ऐसी व्यवस्था करें कि हमारे पड़ोसी देश में किसी भी हिंदू, सिख, बौद्ध, परिवार का उत्पीड़न नहीं हो।यदि ऐसा हो तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर आवाज बुलंद कर बांग्लादेश पाकिस्तान, अफगानिस्तान को घुटने टेकने पर भारत सरकार मजबूर कर दे।
यहां सत्ताधारी दल राजनीतिक फायदे के लिए सीएए का मनमाने तरीके से इस्तेमाल करेगा, इससे कोई भी राजनीतिक समीक्षाकार इंकार नहीं कर सकता है। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में कुछ सिख परिवार बुरी तरह से प्रभावित हुए।
उसे समय तो वाहवाही के लिए भारत सरकार ने हवाई जहाज भेज कर उन परिवारों एवं श्री गुरु ग्रंथ साहिब को भारत में मंगवा लिया। दिल्ली एयरपोर्ट में उनका स्वागत हुआ और मंत्रियों से लेकर पार्टी विशेष के नेताओं ने सोशल मीडिया में जमकर तस्वीर और वीडियो डाली और वाहवाही बटोरी। लेकिन जैसे ही किसान आंदोलन में पंजाब के किसानों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी दी और सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया तो दो रुपए ट्रोल गैंग के सदस्यों ने उन्हीं तस्वीरें और वीडियो को सोशल मीडिया में डालकर सिखों को अपमानित करने का कोई प्रयास नहीं छोड़ा।
पहले भी पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से आने वालों को भारत में नागरिकता मिलती रही है और इसमें कुछ नया नहीं है परंतु सत्ता की चाशनी में इसे नया रूप देने की कोशिश जरूर हुई है।