झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

सैंयाँ! झूठों को सरताज

सैंयाँ! झूठों को सरताज।
मोहे छोड़ गयो किस कारण, पूछत लोग, समाज।।
सैंयाँ! झूठों को —–

रोट्याँ, कपड़्याँ, गैस, तेल सँग, मँहगो आलू, प्याज।
कर्ज दियो जिकों नहीं सांई, माँगत वो से ब्याज??
सैंयाँ! झूठों को —–

चाल चली काँईं, लोगन के, छूट्यो खेती, काज।
सोनो की चिड़ियाँ ने नोच्यो, लाग्यो निर्मम बाज।।
सैंयाँ! झूठों को —-

तोहैं लोग सुमन पहनायो, शासन को ई ताज।
शासक, अधिनायक बन बैठ्यो, करिहैं लोग इलाज।।
सैंयाँ! झूठों को —–

श्यामल सुमन