झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

साधो! टूटत क्यों परिवार?

साधो! टूटत क्यों परिवार?
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साधो! टूटत क्यों परिवार?
कारण क्या है इस टूटन का, करता कौन विचार??
साधो! टूटत —–

स्वाभिमान और अहंकार में, होते भेद महीन।
एक बनावत मन के राजा, लेकिन दूजा दीन।
सुख दुख भी जब इक परिजन के, फिर काहे तकरार??
साधो! टूटत —–

समाधान बातों से मुमकिन, उभरे अगर विवाद।
बहुत जरूरी अपनेपन में, आपस का सम्वाद।
सम्बन्धों का मूल त्याग या, रिश्तों का व्यापार??
साधो! टूटत —–

अगर बागबां न्यायपूर्ण हो, बोले मीठे बोल।
तब गुलशन में मिलना संभव, सभी सुमन के मोल।
जीवन चलता सदा प्रेम से, क्यों रूखा व्यवहार??
साधो! टूटत —–

श्यामल सुमन