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रिम्स प्रबंधन पर तीमारदारों का गंभीर आरोप कहा- पैसा और पैरवी से कर रहे भर्ती

रिम्स प्रबंधन पर तीमारदारों का गंभीर आरोप कहा- पैसा और पैरवी से कर रहे भर्ती

राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से भी स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश दिए गए कि ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन बेड का इंतजाम किया जाए.
इसके बावजूद रिम्स में अव्यवस्था का आलम दिखाई दे रहा है.परिजनों ने रिम्स के मेडिकल स्टाफ पर पैसा लेकर मरीज को भर्ती कराने और पैरवी पर भर्ती की जा रही है.
रांची:रांची में हालात दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं.मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है, तो कहीं ऑक्सीजन की किल्लत के कारण मरीजों की जान जा रही है.इधर रिम्स में अव्यवस्था जैसे हालात है.मरीज के परिजनों का सीधा आरोप है कि यहां के मेडिकल स्टाफ पैसा लेकर मरीजों को भर्ती कर रहे हैं.
सदर अस्पताल में अपने मरीज की जान जाने के बाद पूर्व आर्मी ऑफिसर सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि जिला प्रशासन की तरफ से पर्याप्त मात्रा में अस्पताल के अंदर ऑक्सीजन भेजे गए हैं, लेकिन अस्पताल कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से जरूरतमंद मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है.
रिम्स में अपने मरीज को भर्ती कराने के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भटक रहे धुर्वा के एक युवक ने बताया कि स्थिति काफी खराब है.उन्होंने प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अंदर पैसे लेकर और पैरवी के आधार पर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि काफी देर तक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मिन्नत करने के बावजूद भी जब ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिला तो उन्हें बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाना पड़ा.
झारखण्ड वाणी संवाददाता ने जब मरीजों की परेशानी के बारे में अस्पताल प्रबंधन से बात की तो उन्होंने बताया कि आईसीयू बेड की कमी की वजह से समस्या तो आ रही है, इसके बावजूद भी अपने स्तर से काफी प्रयास कर रहे हैं. सदर अस्पताल की बात करें, तो 240 बेड का इंतजाम किया गया है जो ऑक्सीजन सपोर्टेड हैं. वहीं आईसीयू बेड 7 हैं, जो यहां भर्ती मरीजों की संख्या को देखते हुए काफी कम है.
पिछले दिनों राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से भी स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश दिए गए कि ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन बेड का इंतजाम किया जाए. इसके बाद राज्य के सभी जिलों में नॉर्मल और आईसीयू बेड की बढ़ोतरी की गई है. वर्तमान में अगर राजधानी रांची की बात करें तो आईसीयू बेड की संख्या 395 है, तो वहीं वेंटिलेटर बेड 169 हैं. जबकि ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड की संख्या 1,362 हो चुकी है. इसे लगातार बढ़ाने का जिला प्रशासन की ओर से प्रयास भी किया जा रहा है.