रहता काश! अगर बच्चा मैं
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बार बार बस ये सोचा मैं
सब अच्छे हैं, एक बुरा मैं
अक्सर लोग करे साबित ये
दुनिया झूठी, इक सच्चा मैं
सच की राह चला तो कहते
अभी सोच से हूँ कच्चा मैं
उमर बढ़ी, चालाक बने क्यों
रहता काश! अगर बच्चा मैं
जिसे निकाला था गड्ढे से
अब वो ऊपर, हूँ नीचा मैं
देख जरा ऐ! दुनियावाले
बोझ सभी अबतक खींचा मैं
सुमन, सु-मन से जीना सीखो
तब साबित होगा अच्छा मैं
श्यामल सुमन
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