राष्ट्रीय खेल घोटालाः सीबीआई की रडार पर कई वेंडर्स
राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में सीबीआई की जांच में तेजी नजर आ रही है. कई वेंडर्स केंद्रीय जांच एजेंसी के दायरे में हैं. इसको लेकर पूछताछ के लिए सीबीआई ने कई वेंडर्स को नोटिस भेजा है.
रांचीः 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले में कई वेंडर्स सीबीआई की रडार पर आ गए हैं. एजेंसी ने कई वेंडर्स को नोटिस भेजा है.पूरा मामला राष्ट्रीय खेल के आयोजन से पहले खेल सामग्रियों की खरीद में अनियमितता से जुड़ा है. खेल सामग्रियों को सप्लाई करने वाले वेंडर्स को इससे जुड़ा सारा दस्तावेज भी एजेंसी को देने हैं. अब देखना है कि सवालों के घेरे में आए वेंडर्स इस मामले में अपनी ओर से क्या जवाब देते हैं.
आपको बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर इसी साल अप्रैल में सीबीआई ने दो अलग प्राथमिकी दर्ज की थी.34 वें राष्ट्रीय खेल के दौरान बंधु तिर्की खेल मंत्री थे. इसी मामले में मई 2022 में सीबीआई ने बंधु तिर्की समेत कई के ठिकानों पर छापेमारी की थी. झारखंड में साल 2011 में 12 फरवरी से 26 फरवरी तक 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन हुआ था. लेकिन घोटाले की वजह से यह आयोजन झारखंड के लिए अभिशाप साबित हुआ. इस मामले में अब तक खेल संघों से जुड़े कई लोग जेल की हवा खा चुके हैं.
रांचीः 34 वें राष्ट्रीय खेल घोटाले में कई वेंडर्स सीबीआई की रडार पर आ गए हैं. एजेंसी ने कई वेंडर्स को नोटिस भेजा है.पूरा मामला राष्ट्रीय खेल के आयोजन से पहले खेल सामग्रियों की खरीद में अनियमितता से जुड़ा है. खेल सामग्रियों को सप्लाई करने वाले वेंडर्स को इससे जुड़ा सारा दस्तावेज भी एजेंसी को देने हैं. अब देखना है कि सवालों के घेरे में आए वेंडर्स इस मामले में अपनी ओर से क्या जवाब देते हैं.
34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले का जुटा रही
आपको बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर इसी साल अप्रैल में सीबीआई ने दो अलग प्राथमिकी दर्ज की थी. 34वें राष्ट्रीय खेल के दौरान बंधु तिर्की खेल मंत्री थे. इसी मामले में मई 2022 में सीबीआई ने बंधु तिर्की समेत कई के ठिकानों पर छापेमारी की थी. झारखंड में साल 2011 में 12 फरवरी से 26 फरवरी तक 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन हुआ था. लेकिन घोटाले की वजह से यह आयोजन झारखंड के लिए अभिशाप साबित हुआ. इस मामले में अब तक खेल संघों से जुड़े कई लोग जेल की हवा खा चुके हैं बता दें कि 2011 में 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन झारखंड में किया गया था. जिसमें लगभग 28 करोड़ से अधिक रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया था. जिसके बाद मामले की जांच का जिम्मा एसीबी को दिया गया था. एसीबी वर्ष 2010 से मामले में केस दर्ज कर जांच कर रही है, लेकिन जांच अभी तक पूर्ण नहीं हो सका. जांच की लचर स्थिति को देखते हुए झारखंड अगेंस्ट करप्शन, सेंटर फॉर आरटीआई एवं सुशील कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी. उसी याचिका पर सुनवाई हुई जिस पर अदालत ने मामले की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया है
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