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राज्य के 2 लाख किसानों को 68,516 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत

राज्य के 2 लाख किसानों को 68,516 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत

रांचीः मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। कृषि के साथ मत्स्य पालन और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भी राज्य आगे बढ़े इसके लिए कार्य हो रहा है। राज्य के किसानों को खेती में सहायता देने के लिए सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए ऋण प्रदान कर रही है। योजना से कृषि के अलावा मत्स्य पालकों और दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसानों को भी जोड़ कर ऋण प्रदान किया जा रहा है।
किसानों के सशक्तिकरण हेतु केसीसी से आच्छादन की प्रक्रिया लगातार जारी है। अब तक राज्य के चौबीस जिलों में 2,01, 687 किसानों के केसीसी के आवेदन बैंक के द्वारा स्वीकृत किए गये हैं। इन लाभुकों के लिए ऋण के तौर पर 68,516 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं। इसी तरह मत्स्य पालन के लिए 1359 लाभुकों का 7.345 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत हुआ है। दुग्ध उत्पादकों को डेयरी डेवलपमेंट के माध्यम से 2,452 लाभुकों के आवेदन स्वीकार कर बैंकों द्वारा 15.451 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया है। झारखण्ड स्टेट मिल्क फेडरेशन की ओर से 2,701 लाभुकों का 6.629 करोड़ रुपए का ऋण बैंकों द्वारा स्वीकृत हुआ है।
राज्य के जरूरतमंद लोग योजनाओं का लाभ लें इसके लिए मुख्यमंत्री द्वारा विशेष निर्देश मिला है। योजनाओं के संबंध में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। राज्य के सभी किसानों को केसीसी का लाभ प्राप्त हो इस निमित विभाग कार्य कर रहा है।
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एफपीओ को बहुसेवा केंद्र मल्टी सर्विस सेंटर के रूप में करें विकसित-सूरज कुमार जिला उपायुक्त

समाहरणालय सभागार जमशेदपुर में जिला उपायुक्त सूरज कुमार की अध्यक्षता में केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत पूर्वी सिंहभूम के पटमदा तथा घाटशिला प्रखंड में चल रहे एफपीओ परियोजना की समीक्षा हेतु बैठक आहूत की गई जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड ने परियोजना में अब तक की प्रगति की जानकारी साझा करते हुए बताया कि पटमदा प्रोग्रेसिव एग्रो प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड तथा घाटशिला प्रगतिशील प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के नाम से इन दोनों प्रखंडो में क्रमशः एफपीओ का गठन तथा पंजीकरण हो चुका है और वर्तमान मे आधारभूत सर्वेक्षण, सदस्यता सह जागरूकता अभियान और अंशपूंजी निर्माण का कार्य चल रहा है ।
जिला उपायुक्त ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण भूमिजोत छोटी होती जा रही है जिससे इकाई उत्पादन लागत में भी वृद्धि हो रही है । इसके अतिरिक्त जलवायु संबंधित बढ़ती अनिश्चिता के कारण कृषि कार्य कम लाभकर होता जा रहा है । ऐसी परिस्थिति मे एफपीओ द्वारा समूह शक्ति के प्रभाव से खाद, बीज, कीटनाशक को ऊचित मूल्य पर उपलब्ध करवाने से उत्पादन लागत में कमी, कृषि उत्पाद का संग्रहण के माध्यम से बेहतर विपणन सुविधा प्रदान कर किसानों की आय में सफलता पूर्वक वृद्धि की जा सकती है । उन्होंने विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर एफपीओ को बहु सेवा केंद्र के रूप मे विकसित किए जाने के निर्देश दिए ।
जिला उपायुक्त ने कहा कि एफपीओ के परिचालन हेतु कार्यालय, गोदाम, शोर्टिंग-ग्रेडिंग-पैकेजिंग इकाई जिला प्रशासन के माध्यम से मुहैया करवाई जा सकती है, इसके लिए उन्होने सम्बंधित हितधारकों को आवश्यक निर्देश दिए । इस योजना के अंतर्गत बोड़ाम, मुसाबनी और धालभूमगढ़ प्रखंड को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए चयनित किया गया ।
बैठक में उप विकास आयुक्त परमेश्वर भगत, जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड सिद्धार्थ शंकर, जिला कृषि पदाधिकारी राजीव मिश्रा, जिला उद्यान पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी, अग्रणी जिला प्रबंधक विभाकर सिन्हा, जिला सहकारिता पदाधिकारी विजय तिर्की, जिला मत्स्य पदाधिकारी भार्गवी पी. समेत इस योजना के क्रियान्वयन के लिए चयनित संस्था सृजनी के पदाधिकारी और एफपीओ के निदेशक मंडल के सदस्य मौजूद थे ।
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