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पटना विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में एकल व्याख्यानमाला का आयोजन

पटना विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में एकल व्याख्यानमाला का आयोजन

पटना विश्वविद्यालय के मैथिली विभाग में एकल व्याख्यानमाला का आयोजन आज किया गया।व्याख्यानमाला का विषय प्रोफेसर हरिमोहन झा जीवन और साहित्य था। मुख्य वक्ता के रूप में कोल्हान विश्वविद्यालय झारखंड के जमशेदपुर से आए मैथिली प्रोफेसर डा. रवीन्द्र कुमार चौधरी ने हरिमोहन झा के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालते हुए मैथिली साहित्य में उनके योगदान को अतुलनीय बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह प्राचीन युग में विद्यापति मैथिली काव्य को उत्कर्ष के जिस शिखर पर स्थापित किए , आधुनिक युग में हरिमोहन झा ने मैथिली गद्य को उस स्थान पर पहुंचाया। हास्य व्यंगपूर्ण शैली में सामाजिक,धार्मिक, अंधविश्वास, रुढ़ि और पाखंड पर चोट इनके लेखन की अन्यतम वशिष्ठ हैं। मैथिली में आज भी सर्वाधिक पढ़ी और खरीदी जाने वाली पुस्तक इन्हीं की है। इनकी चर्चित कृतियों में ‘खट्टर ककाक तरंग एवं जीवन यात्रा’ मैथिली साहित्य में अनुपम कृति है साथ ही उन्होंने बताया कि जिस तरह देवकीनंदन खत्री के उपन्यास चंद्रकांता को पढ़ने हेतु अनेक अहिंदी भाषी जनमानस हिंदी सीखें, ठीक उसी तरह हरिमोहन झा की हास्य व्यंग रचनाओं के रसास्वादन हेतु एक विशाल पाठक वर्ग मैथिली सीखें।
विशिष्ट वक्ता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा सत्यनारायण मेहता ने कहा कि हरिमोहन झा के कहानी का मूल उद्देश्य है मनोरंजन और मनोरंजन के माध्यम से मैथिल समाज के रूढ़िगत दुर्बलता को उदघाटित करना। इन व्यंग रचना में समाज में व्याप्त जड़ता से मुक्ति दिलाने का प्रेरणादाई संदेश निहित है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में मैथिली विभाग की विभागाध्यक्षा डा. अरुणा चौधरी ने हरिमोहन झा के रचनाओं के प्रभाव विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे खुद में साहित्य थे। उनकी कृति कन्यादान, द्विरागमन, प्रणम्य देवता, रंगशाला, चर्चरी, खट्टर ककाक तरंग, जीवन यात्रा आज भी मैथिली पाठकों के जीह्वा पर है। व्याख्यानमाला में डीन, मानविकी संकाय डा अशोक कुमार, दर्शनशास्र के पूर्व विभागाध्यक्ष डा रमाशंकर आर्या, इतिहास विभाग के डा. विद्यानंद विधाता ने भी अपने विचार व्यक्त किए। स्वागत भाषण डॉक्टर हीरा मंडल तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर जीवछ राम ने किया। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन डॉक्टर नरेश कुमार ने किया। इस मौके पर विभाग के शोधार्थी एवं छात्र मुख्य रूप से उपस्थित थे।