झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत में सब के लिए एक सामान नागरिक संहिता लागू करने का दृढ़ संकल्पित वक्तव्य अत्यंत ही साहसिक‌, राष्ट्रवादी , आधुनिक और वैज्ञानिक वक्तव्य है जिसकी जितनी भी सराहना की जाय वह कम ही है- रवींद्र नाथ चौबे

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत में सब के लिए एक सामान नागरिक संहिता लागू करने का दृढ़ संकल्पित वक्तव्य अत्यंत ही साहसिक‌, राष्ट्रवादी , आधुनिक और वैज्ञानिक वक्तव्य है जिसकी जितनी भी सराहना की जाय वह कम ही है भारतीय राष्ट्र की जय हो
यह भारतीय संविधान से धारा 370 हटाने जैसा क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी कार्य होगा। यह डां अम्बेडकर ,डां राममनोहर लोहिया और डां श्यामाप्रसाद मुखर्जी के सपने को पूरा करने वाला है। प्रधानमंत्री ने ठीक ही कहा कि यह मुसलमानों के विरोध में नहीं है।
क्योंकि भारत में पहले से ही अपराधिक कानून सभी नागरिकों के लिए एक ही है और भारत के सारे मुसलमान उसे अंगीकृत किये हुए हैं। जबकि अपराधिक कानून में भी शरिया कानून है और उसकी अलग सज़ा है। क्योंकि चुंकि अंग्रजों ने भारत में एक समान अपराधिक कानून को लागू किया इसलिए उसका विरोध भारत के मुस्लिम संगठन नहीं करते हैं।
चुंकि भारत में पहले से ही एक समान अपराधिक कानून लागू हैं इसलिए समान नागरिक संहिता को भी अधिकाधिक सम्मति से लागू किया जाना आज का युग धर्म है राष्ट्र धर्म है।
इसके पहले ही मोदी सरकार तीन तलाक़ कानून पास कर इसकी शुरुआत कर चुकी हैं।
एक निष्पक्ष नागरिक , लोहियावादी कार्यकर्ता और राष्ट्रवादी होने के कारण तथा एक आध्यात्मिक साधक होने के कारण अंत:करण से जाति, संप्रदाय, लिंग और क्षेत्र से उपर उठकर सबके कल्याण के साथ साथ वंचितों को विशेष अवसर देने के सिद्धांत पर चलने वाला कार्यकर्ता साधक होने के कारण मैं पूरी निष्ठा से कहता हूँ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिम विरोधी नहीं है। और सच में वे सबका साथ, सबका विकास और सब के विश्वास के लिए भारतीय राज योगी जैसे अहर्निश क्रियाशील हैं।
मुस्लिमों , कांग्रेसियों और बामपंथियों को जो प्रधानमंत्री में मुस्लिम विरोध दिखाई पड़ता है वह उनके तुष्टीकरण के कारण है। दुनिया प्रति दिन बदल रही है यह बदलाव इतना तीब्र गति से हो रहा है कि जो इसको नहीं स्वीकारेंगे वे कट्टर , संकीर्ण, बदबूदार और गलीज़ बन जायेंगे।
सत्य, न्याय भाईचारा, चैतन्य और प्रेम नहीं बदलता है उसको प्रकट करने के रूप बदलते रहते हैं और इसलिए परिवर्तन सत्य है। इसलिए रूप और लीला परिवर्तनशील है। इसलिए सभी भारत के नागरिकों से अपील है कि एक समान नागरिक संहिता लागू करने में साथ दें