पहले एक जुगाड़ चाहिए
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पढना-लिखना या व्यापार,
खेती या फिर कारोबार,
आगे जाना तो हिम्मत का, दिल में एक पहाड़ चाहिए।
मगर आज कल हर पेशे में, पहले एक जुगाड़ चाहिए।।
कोई सच की राह दिखाते, कोई किस्मत के गुण गाते।
कुछ निष्ठा को रोज बदलकर, बस दरबारी राग सुनाते।
जो पीछे रह जाते उनको, तर्कों की इक आड़ चाहिए।
मगर आज कल —–
सब शासक की एक कहानी, जो करते अपनी मनमानी।
अक्सर भूल सभी क्यों जाते, ये सत्ता बस आनी जानी।
अंकुश खातिर जन-विरोध की, यारों एक दहाड़ चाहिए।
मगर आज कल —–
बात सुमन ये कितनी छोटी, मिले वक्त पर सबको रोटी।
इक समान हम मानव हैं तो, भला करें क्यों नीयत खोटी?
बेईमान को वक्त वक्त पर, मिलकर एक पछाड़ चाहिए।
मगर आज कल —–
श्यामल सुमन
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