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नहीं रहे झारखंड की धरती से जुड़े बॉलीवुड के विख्यात निर्माता,निर्देशक व लेखक मोहन जी प्रसाद..

झारखंड की धरती से जुड़े बॉलीवुड के विख्यात निर्माता, निर्देशक व लेखक मोहन जी प्रसाद का निधन 17 नवम्बर 2020 को 2 बजे दिन में हो गया है। वो काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। मोहन जी ने अपना फिल्मी कैरियर पहली भोजपुरी फिल्म-‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’ के निर्माता बी पी शाहाबादी के साथ रह कर शुरू किया था। फिल्म निर्माता बी पी शाहाबादी के फिल्म वितरण व्यवसाय की देख रेख भी प्रारंभिक दिनों में मोहन जी प्रसाद ही किया करते थे। बी पी शाहाबादी द्वारा निर्मित फिल्म-‘गंगा धाम'(1980) के स्टोरी डिपार्टमेंट से जुड़ कर इन्होंने अपना फिल्मी कैरियर शुरू किया था।इस फिल्म के मोहन जी प्रसाद कार्यकारी निर्माता भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में सामाजिक सरोकार से जुड़ी मनोरंजन युक्त संदेशपरक हिन्दी/भोजपुरी फिल्मों का लेखन,निर्माण व निर्देशन किया।
‘घर द्वार'(1985), ‘माँ बेटी'(1986), ‘औरत तेरी यही कहानी'(1988), ‘बड़े घर की बेटी'(1989), ‘नाचे नागिन गली गली'(1989), ‘घर परिवार'(1991), ‘फूलवती'(1991),’दोस्ती की सौगंध'(1993), ‘मेघा'(1996), ‘दीवाना हूँ पागल नहीं'(1998), ‘गंगा जइसन माई हमार'(भोजपुरी-2004),’पंडित जी बताईं न बियाह कब होई'( भोजपुरी-2005), प्रेम शक्ति, ‘राम बलराम'(भोजपुरी-2007), ‘माई बाप’ (भोजपुरी-2007), ‘रसिकबलमा'(भोजपुरी-2007) और ‘हमार सइयां हिंदुस्तानी'(भोजपुरी-2007) निर्माता, निर्देशक व लेखक मोहन जी प्रसाद की उल्लेखनीय फिल्में हैं। मोहन जी प्रसाद अब हमारे बीच नहीं हैं परंतु अपनी फिल्मों के माध्यम से सिनेदर्शकों के बीच वो अपनी उपस्थिति युगों युगों तक दर्ज कराते रहेंगे।