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नहीं हो सका मिथिला के लोक पर्व जुड़शीतल का सार्वजनिक आयोजन

नहीं हो सका मिथिला के लोक पर्व जुड़शीतल का सार्वजनिक आयोजन

जमशेदपुर। मैथिली भाषियों का लोक पर्व जुड़शीतल का आयोजन अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद द्वारा भव्यता पूर्वक किया जाता रहा है। इस वर्ष भी बढ़ते कोरोनावायरस के कारण मिथिला वासियों ने इस पर्व को औपचारिकता के साथ अपने-अपने घर में ही सादगी से मनाए। जुड़ शीतल में घर के श्रेष्ठ व्यक्ति लोटा में पानी भरकर रात में अपने पूजा घर में रखते हैं । सुबह होने पर अपने से छोटे के सर पर पानी डालकर उन्हें जुड़ाते हैं। इस जल से गृहस्थी के सभी समानों, पेड़- पौधे को भी शीतल किया जाता है। दिन में बासी कढी बरी- भात, दालपूरी- सब्जी,आमचटनी खाने की विशेष परंपरा है। मिथिला के इस पर्व को प्रकृति पूजा एवं जल संरक्षण से भी जोड़कर देखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के अध्यक्ष डॉ रवीन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि गर्मी आने से पूर्व जल संरक्षण हेतु वाटर हार्वेस्टिंग का पुराना पद्धति इस पर्व से जुड़ा है। इस पर्व को भारत और नेपाल के मिथिला क्षेत्र के लोगों द्वारा आज भी प्रमुखता से मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद द्वारा जुडिशीतल पर्व राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए ही यह पर्व प्रमुखता से मनाया जाता है जिससे गर्मी के दिनों में जलस्त्रोत बने रहे यह पर्व मिथिला वासियों के द्वारा हरेक घर में तुलसी पौधा में आज के दिन पंचशाला टांगें जाते हैं और वैसाख के शुक्ल पक्ष संक्रांति तक पुरा एक महिना पुरे परिवार के लोग पंचशाला में स्नान करने के बाद जल डालकर पुरे परिवार को जुड़ाने का काम करते हैं ,जुड़ी शीतल से पूर्व सभी मिथिलानी अपने घर में कढीबरी ,भात,तरुआ,आम का चटनी बनाकर परिवार के लोगों को खिलाने का काम करती है उसी खाना को दुसरे दिन भी खाया जाता है और परिवार से जुड़ा जाता है सुबह परिवार के लोगों को नाश्ता के रूप में सतुआ,गुड और आम का चटनी परोसा जाता है रात में मिथिलानी के घरों में दालपुरी,सब्जी, खीर आदि बनाकर परिवार के लोगों को खिलाने का काम करती है और एक दूसरे को जुड़ाने का आर्शीवाद देती है आज के दिन सभी मिथिला भाषा भाषी और मिथिलानी एक स्थान पर इकट्ठा होकर एक दूसरे को जुड़ने का काम किया करते थे लेकिन कोरोनावायरस के कारण यह पर्व दो वर्षों से सामूहिक रूप से नहीं मनाया जा रहा है सभी लोग अपने घरों में ही जुड़ी शीतल मनाने का काम करती हैं मिथिलांचल का नववर्ष भी आज ही के दिन शुरू होता है और सभी मिथिला भाषा भाषीयों और मिथिलानी के तरफ से सभी देशवासियों राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय एवं प्रदेशवासियों को नववर्ष की शुभकामना