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नेताजी ने कहा था कि आजादी दी नहीं जाती यह छीननी पड़ती है पीआईबी,आरओबी रांची और एफओबी डाल्टेनगंज के संयुक्त तत्वावधान में वेबिनार का आयोजन

नेताजी ने कहा था कि आजादी दी नहीं जाती यह छीननी पड़ती है पीआईबी,आरओबी रांची और एफओबी डाल्टेनगंज के संयुक्त तत्वावधान में वेबिनार का आयोजन

रांची : पत्र सूचना कार्यालय, रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची और फील्ड आउटरीच ब्यूरो, डाल्टनगंज के संयुक्त तत्वावधान में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पराक्रम दिवस विषय पर आज दिनांक 23 जनवरी 2020, शनिवार को वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में उपर्युक्त विषय पर वक्ताओं ने कहा कि नेताजी का व्यक्तित्व हमें साहस और बलिदान की शिक्षा देता है। वहीं उनके द्वारा लगाए गए आजादी के नारे हमें ऊर्जावान बनाते हैं।
एफपीओ डाल्टनगंज गौरव पुष्कर के द्वारा वक्ताओं के परिचय के बाद अपर महानिदेशक पीआईबी रांची अरिमर्दन सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के वेबिनार का विषय बहुत प्रासंगिक है। आज हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वी जयंती मना रहे हैं और आज के दिन को भारत सरकार ने ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। नेताजी का व्यक्तित्व हमें साहस और बलिदान की शिक्षा देता है। नेताजी आज भी युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं और उनके द्वारा लगाए गए आजादी के नारे ‘जय हिंद’ तथा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ भारत वासियों के तन मन में ऊर्जा का संचार करते हैं और उन्हें देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करते हैं।
गांधी मेमोरियल हाई स्कूल रामगढ़ के सेवानिवृत्त प्राचार्य आशुतोष कुमार सिंह ने विस्तार से नेताजी के रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान रामगढ़ भ्रमण पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह से नेताजी जैसे प्रखर और ऊर्जावान स्वतंत्रता सेनानी ने कांग्रेस रामगढ़ अधिवेशन के समानांतर एक समझौता विरोधी आंदोलन का सफल आयोजन किया। यह कांग्रेस का 53 वां अधिवेशन था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के विचारों से सहमत नहीं थे इसलिए उन्होंने तीन दिनों का समानांतर अधिवेशन आयोजित किया। नेताजी अधिवेशन में कोलकाता होते हुए रांची स्टेशन पहुंचे जहां से एक अद्भुत और अनोखे बैलगाड़ी जुलूस के साथ वे रामगढ़ पहुंचे। नेता जी ने अपने भाषण में कहा कि आजादी दी नहीं जाती बल्कि छीननी पड़ती है।
सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची के इतिहास के प्राध्यापक डॉ एस.एन. दास ने नेताजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आजाद हिंद फौज जब दोबारा से जीवित किया गया तो नेता जी ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया और सभी साथियों को जमा कर अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए तैयार किया। नेताजी और उनके अनुयायि अब सिर्फ भारत को आजादी दिलाने के लक्ष्य के साथ काम करने लगे और उन्हें जहां से भी मदद मिली उन्होंने उसका उपयोग किया। डॉक्टर एस एन दास ने बताया कि नेताजी नहीं केवल एक बहुत करिश्माई व्यक्तित्व के धनी थे बल्कि साथ साथ वे शैक्षणिक योग्यता में भी बहुत आगे थे। नेता जी ने जब दिल्ली चलो का नारा दिया उनके तथा उनके सहयोगियों के सामने साफ लक्ष्य था कि वे लाल किला पहुंचकर भारत के तिरंगे को लाल किले पर फहरा कर अंग्रेजी ताकत को खुली चुनौती देंगे।
सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची के हिंदी के विभागाध्यक्ष कमल कुमार बोस ने नेताजी के व्यक्तित्व को एक करिश्माई, तेजस्वी, प्रकाशमयी सन्यासी के रूप में याद किया और उनके विलक्षण प्रतिभाओं का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार नेता जी ने अंग्रेजों के नहीं चाहे जाने के बावजूद इंडियन सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की और भारतीयों के शिक्षित और बुद्धिमान होने का लोहा मनवाया। प्रो. बोस ने अपने व्याख्यान के दौरान नेताजी द्वारा लिखी कविता को भी सुनाया और कहा कि उन्होंने हमें शिक्षा दी है कि लक्ष्य कितना भी कठिन हो पर हमें हार नहीं मानना है क्योंकि हर अंधेरे के बाद उजाला होता है और हर संघर्ष के बाद सफलता मिलती है।
लेखक व रांची यूनिवर्सिटी के पूर्व व्याख्याता डॉ राम रंजन सेन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रांची प्रवास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रांची में स्वाधीनता सेनानी जयपाल सिंह मुंडा ने नेताजी के लिए मोरहाबादी मैदान में नागरिक अभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें अब्दुल कलाम आजाद जैसे बड़े नेता भी सम्मिलित हुए। नेताजी के रांची आने से स्वाधीनता के आंदोलन को एक नई ऊर्जा मिली और आजादी की लड़ाई पहले से ज्यादा तेज हो गई।
एन सी सी डाल्टनगंज के प्रशासनिक पदाधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सुमन कुमार मिश्रा ने बताया कि नेता जी की जीवनी समस्त युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है और हमें लगातार प्रयास करते रहने और चुनौती स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती है। लेफ्टिनेंट कर्नल मिश्रा ने कहा कि नेताजी का जीवन हमें त्याग और बलिदान की भी शिक्षा देता है। नेता जी ने देश के लिए सिविल सर्विसेज जैसे एक शानदार करियर को छोड़कर स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़े और अपनी अंतिम सांस तक अपनी सेवा देते रहे।
वेबिनार के दौरान उपर्युक्त विषय से संबंधित ऑनलाइन क्विज में भी प्रतिभागियों ने शिरकत की। इस वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गौरव पुष्कर ने किया।
वेबिनार में विशेषज्ञों के अलावा शोधार्थी, छात्र, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकारों एवं सदस्यों, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा मीडिया से संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए