झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

मुमकिन है तुरपाई

मुमकिन है तुरपाई
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बादल फटते, दूध भी फटता, मुश्किल है भरपाई।
फटते जब कपड़े या रिश्ते, मुमकिन है तुरपाई।
सीख लो मेरे भाई।
सीख ले तू भी ताई।।

जीवन है अनमोल खजाना, चतुराई से इसे बिताना।
कोई गम को खोज के रोता, गाता कोई सदा तराना।
ठान लिया जो उसे बुढ़ापे में आती तरुणाई।
सीख ले —–

आनेवाले कल की खातिर क्या क्या जोड़ रहे हैं?
इस कारण से पल कोमल जो उसको छोड़ रहे हैं।
छूटा घर आँगन भी अपना, करते रहे कमाई।
सीख ले —–

साँसें जब टूटेगी, टूटे, हमको जीना होगा।
हँसते हँसते जहर गमों का हमको पीना होगा।
यकीं सुमन को बजेगी यारो आँगन में शहनाई।
सीख ले —–

श्यामल सुमन