झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

मजे में कौवा, हँस विकल है

मजे में कौवा, हँस विकल है
यही सियासत आज सफल है

शेर, हिरण अब साथ बैठते
सत्ता की ये नयी पहल है

बन के गिद्ध, उसे वो नोचे
जो जितना गरीब, निर्बल है

बिखर गयीं चींटी की टोली
सबका कारण यही असल है

मित्र बने जब साँप, नेवले
नियम कौन फिर बचा अटल है

बेबस तोता, बस मालिक का
करता रहता रोज नकल है

सुमन मोर के जीवन में भी
अभी दिखा कुछ उथल-पुथल है
श्यामल सुमन