झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

मेरी दुनिया मुझसे बनती

मेरी दुनिया मुझसे बनती
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गीत सभी के अपने अपने, अपना राग सुनाते लोग
तकरीरों से खुद को ढककर दूजे को समझाते लोग

सोच किसी के भीतर कैसा क्या बाहर से दिखता है?
चेहरे पे मुस्कान ओढ़कर अक्सर क्यूँ भरमाते लोग

मेरी दुनिया मुझसे बनती और बिगड़ती भी मुझसे
दूजे का नित दोष गिनाकर खुद की कमी छुपाते लोग

दुनिया कायम सदा रहेगी, बदलेंगें किरदार मगर
बेहतर कल की खातिर कुछ ही दुनिया से टकराते लोग

सोच समझ की अपनी अपनी सबकी गठरी अलग अलग
खुद बिन देखे मगर सुमन को दर्पण वही दिखाते लोग

श्यामल सुमन