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मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट के विरुद्ध बना संयुक्त मोर्चा, स्थानीय लोगों ने भी उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट के विरुद्ध बना संयुक्त मोर्चा, स्थानीय लोगों ने भी उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

शेल्टर होम की बच्चियों के साथ कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट एवं प्रताड़ना के आरोप झेल रही मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट की मुश्किलें बढ़ रही हैं। खड़ंगाझार के शमशेर टॉवर रेसिडेंशियल फ्लैट में चलित एनजीओ कार्यालय और शेल्टर होम को अन्यत्र शिफ़्ट करने और संचालकों की अविलंब गिरफ्तारी को लेकर शमशेर टॉवर एवं आसपास के निवासी गोलबंद हो गये हैं। भाजपा, आजसू और जेएमएम से जुड़े स्थानीय नेताओं का भी समर्थन मिल रहा है। भाजपा नेता अंकित आनंद, आजसू नेता मनोज गुप्ता एवं जेएमएम नेता विनीत जैसवाल ने भी हरपाल सिंह थापर, पुष्पा तिर्की एवं अन्य की कार्यसंस्कृति पर विरोध जाहिर करते हुए कार्रवाई की माँग की है। इधर, शमशेर टॉवर के 40 की संख्या में निवासियों ने उपायुक्त सूरज कुमार को अपने हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपकर मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट के संचालकों के विरुद्ध चल रहे जाँच में शमशेर टॉवर के निवासियों के शोषण के मामलों को भी संज्ञान में लेने का अनुरोध किया है। लोगों में लिखित रूप में बताया है कि उनके स्तर से अनगिनत शिकायतें स्थानीय टेल्को थाना में बीते दो वर्षों में किये गये लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी ने हरबार शिकायतों को नजरअंदाज करते हुए हरपाल सिंह थापर और पुष्पा तिर्की के कुकृत्यों को प्रश्रय दिया। स्थानीय लोगों ने अपने ज्ञापन में बताया है कि मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट के संचालक हरपाल सिंह थापर, पुष्पा रानी तिर्की ने अपनी गलत गतिविधियों से फ्लैट के अन्य लोगों के नाक में दम कर रखा है। स्थानीय थाना स्तर पर मदद नहीं मिलने से लोग न्याय से वंचित रह गये। फ़्लैट के कई खरीददार ऊबकर दूसरे जगह भाड़े के घर में चले गये। छह मंजिला फ्लैट की लिफ़्ट बंद कर दी गई। पार्किंग एरिया को दबंगई से कब्जा कर के एनजीओ का कार्यालय बना दिया गया है। अपार्टमेंट में 04 फ्लैट हरपाल सिंह थापर के जिम्मे है जिनका मेंटेनेंस शुल्क वर्षों से नहीं दिया गया है। मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट के कारण समूचे फ्लैट में गंदगी और कूड़े का अंबार है। फ्लैट के लोगों ने भी बच्चों के शोषण और प्रताड़ना की बातों का समर्थन किया है। ज्ञापन में स्थानीय लोगों ने बताया कि “ट्रस्ट में रहने वाले जो बच्चें सभी झारखंड के मूल निवासी हैं उन्हें समय पर भोजन नहीं दिया जाता। मारपीट के डर से बच्चें शिकायत करने से डरते हैं। बच्चें कई बार छिपकर फ्लैट के घरों से खाना माँगते हैं। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस पूरे प्रकरण की जाँच में स्थानीय लोगों से भी गवाही हो और उनके बयान कलमबंद किये जायें।