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मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग झारखण्ड सरकार राँची को जनगण शक्ति मंच के संरक्षक अमर नाथ झा द्वारा निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा प्रवरण वेतन मान सम्बन्धी निर्गत पत्रांक 1802/24-09-2021को निरस्त करने में सहयोग करने की मांग की थी

निदेशक माध्यमिक शिक्षा कार्यालय के पत्रांक 1802/ 24 -09-2021 के सम्बंध में
(प्रसंग – माध्यमिक शिक्षकों के प्रवरण वेतनमान )

माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा राज्य के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की प्रवरण वेतनमान में प्रोन्नति के सम्बंध में निर्देश जारी की गयी है । जो पूर्व में कैबिनेट से पारित विभागीय अधिसूचना संख्या 434 दिनांक 1.03.2016 द्वारा अधिसूचित झारखंड सरकारी माध्यमिक विद्यालय शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी नियुक्त एवं सेवा शर्त नियमावली 2015 के नियम 6(1) में प्रोन्नति संबधी प्रावधान केंद्रीय विद्यालय संगठन नियमावली एवं वित्त विभाग झारखण्ड के दिशा निर्देशों के अनुरूप नियम 3 में दर्शायी गई श्रेणियों की मूल कोटि के वेतनमान में बारह वर्षो की संतोषप्रद सेवा के बाद उस श्रेणी का वरीय वेतनमान देय होगा । स्नातक प्रशिक्षित की श्रेणी में प्रवरण वेतनमान का लाभ मूल कोटि में स्वीकृति पदों के बीस प्रतिशत अनुमान्य पद के विरूद्ध वरीय वेतनमान में न्यूनतम बारह वर्षों की सेवा करने वाले शिक्षकों को वरीयता क्रम में देय होगा की उपेक्षा है पत्र के अंश (1) में कहा गया है कि कतिपय जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा मार्गदर्शन की मांग की गई है कि स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान हेतु स्नाकोत्तर की योग्यता अनिवार्य है अथवा नहीं के सम्बंध में कहना है कि रांची जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा पत्रांक 659 दिनांक 18/03/17 को मार्गदर्शन मांगा गया था और निदेशक ने अपने पत्रांक 903 दिनांक 05/06/17 द्वारा कहा कि नियमावली 2015 की नियम (।) (lll) एवं नियम 24 के आलोक में स्वयं के स्तर से नियमानुसार कारवाई की जाय । इसके बाद देवघर जिला के जि.शि. पदाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए अपने जिला में स्थापना की बैठक कर स्वीकृत्यादेश जारी किया । पुनः अन्य जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा विलम्ब को देखते हुए 28 अगस्त 2017 को पत्रांक 1611 जारी कर तत्कालीन प्रधान सचिव सभी उपायुक्त को खेद प्रकट करते हुए निर्देश दिया कि देवघर जिला छोड़कर अन्य जिला के डीईओ जानबूझकर मार्गदर्शन मांगते है, जबकि पत्रांक 955 दिनांक 04.05.16 को ही स्पष्ट निर्देश दिया जा चुका है ।
इसके बाद धीरे धीरे गढ़वा एवं पाकुड़ जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी स्वीकृत्यादेश जारी कर किया । राँची जिले में भी स्थापना की बैठक कर 408 शिक्षकों का स्वीकृत्यादेश आदेश निर्गत हुआ जिसे तत्कालीन जि. शि. पदाधिकारी कतिपय त्रुटि दिखाकर विगत 04/08/2020 से स्थगित कर रखा है । अतः किसी डीईओ द्वारा योग्यता संबधी मार्गदर्शन मांगना कहीं से भी उचित प्रतीत नही होता । पत्र के खंड 2 में पूर्ववर्ती राज्य बिहार के संकल्प 6022 दिनांक 18 दिसंबर 1989 विभागीय पत्रांक 1100 दिनांक 19/12 /1992 एवं पत्रांक 267 दिनांक 25 /04/1994 का हवाला दिया गया है कि प्रवरण वेतनमान हेतु स्नातकोत्तर की आवश्यकता है । इस संदर्भ में कहना है कि नियमावली 2015 के पूर्व यहां कौन नियमावली लागू था ? यदि बिहार का नियमावली लागू था तो बिहार ने पत्रांक 2096 दिनांक 04/ 3/2014 में ही इस संबंध में निर्णय लिया है कि अब सभी वरीय वेतनमान प्राप्त शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान का लाभ मिलेगा । इतना ही नहीं नियमावली 2015 के कंडिका 24 में स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में निर्गत पूर्व के सभी पत्र निरस्त होगा तो फिर 1992 एवं 1994 का नियम यहाँ लागू करना विधान मंडल द्वारा पारित कानून की अवमानना है । पत्र के अंश 3 में अधिसूचना 434 दिनांक 1-3 -2016 के संबंध में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालय नियमाबली के अनुसार प्रवरण वेतनमान देय होगा परंतु पदाधिकारी द्वारा मात्र कंडिका के एक वाक्यांश को बताया गया है कि केंद्रीय विद्यालय संगठन नियमावली के अनुसार के बाद आगे नहीं पढ़ना महाभारत का उस वाक्य को अंकित करता है कि अश्वत्थामा हतो वा कुंजरो अश्वत्थामा तो सुना गया परंतु बाद में नर है या हाथी बोलने के समय शंख बजा दी गई, वही हाल की गई है। क्योंकि इसी कंडिका के नीचे स्पष्ट है कि स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में प्रवरण वेतनमान का लाभ मूल कोटि के स्वीकृत पदों के बीस प्रतिशत अनुमान्य पद के विरुद्ध वरीय वेतनमान न्यूनतम बारह वर्षों की सेवा करने वाले शिक्षकों को वरीयता क्रम में देय होगा । केंद्रीय विद्यालय संगठन का जिक्र इसलिए किया गया है कि शिक्षकों को अन्य कर्मचारियों के भांति एमएसीपी नहीं बल्कि वरीय एवं प्रवरण वेतनमान मिलेगा नियमावली 2015 में अहर्ता तय है । अतः केंद्रीय विद्यालय का कोई अन्य नियम देखने की आवश्यकता नहीं है । पत्र में बिहार के नियमों का जिक्र किया गया है । झारखण्ड के शिक्षक भी चाहते हैं कि एक साथ नियुक्त शिक्षकों में समानता हो ।इसी क्रम में कहना है कि बिहार राज्य ने ज्ञापंक-11/नियमा01-01/2019/68 दिनांक20-01- 2020 से सभी नियमों को समाप्त कर राज्यकर्मी की तरह एमएसीपी दिया है । यहाँ भी वही पत्र लागू क्यों न किया जाय ताकि एक साथ बहाल शिक्षकों के पेंशन में कोई विषमता नहीं हो । उपर्युक्त सभी तथ्यों से लगता है कि माध्यमिक निदेशालय में पदस्थापित शिक्षा पदाधिकारीगण शिक्षकों के प्रति अपेक्षित गम्भीर नहीं है । ऊपर के अधिकारी को सही जानकारी देना नहीं चाहते हैं । वर्तमान माध्यमिक निदेशक ने ही गढ़वा में उपायुक्त के रूप में स्थापना समिति की बैठक कर प्रवरण वेतनमान का लाभ दे चुके हैं । अतः आग्रह है सहानभूति पूर्वक विचार कर उक्त आदेश के साथ साथ पत्र के द्वितीय भाग के रूप में शिक्षक हित में और एक आदेश जारी करें। इस पत्र में उल्लेखित सभी सन्दर्भित विषयों पर गहनता से विचार कर तथा 2015 की नियमावली की हरेक पंक्ति को पुनः एक बार अध्ययन कर उचित निर्णय लेने की महती कृपा की जाय । इस विषय पर मंच की ओर से अमरनाथ झा और दीपचन्द कश्यप को वार्ता हेतु अधिकृत किया गया उक्त जानकारी डाॅ निखिल चन्द्र दास, अध्यक्ष, जनगण शक्ति मंच देशीय समिति, भारत। झारखंड ईकाई ने दी है

मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग झारखण्ड सरकार राँची को जनगण शक्ति मंच के संरक्षक अमर नाथ झा द्वारा निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा प्रवरण वेतन मान सम्बन्धी निर्गत पत्रांक 1802/24-09-2021को निरस्त करने में सहयोग करने की मांग की थी ।इस पत्र में नियुक्ति के विषय में स्नातकोत्तर योग्यताधारी शिक्षकों को ही चौबीस वर्ष की सेवा करने पर प्रवरण वेतनमान देने को कहा गया है जबकि मंत्रीमंडल से पारित अधिसूचना संख्या 434/1-03-2016 में मात्र स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को वरीय वेतन मान में बारह वर्ष की सेवा करने पर कुल स्वीकृत बल का बीस प्रतिशत प्रवरण वेतनमान देने का प्रावधान है इसी को आधार मानकर देवघर ,गढ़वा एवं पाकुड़ जिला के शिक्षक लाभ पा रहे हैं ।मंत्री ने मुख्य मंत्री को स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों को नियमसम्मत लाभ देने को पत्र लिखा है जिसकी प्रतिलिपि सचिव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भी दी है ।मंत्री के इस प्रयास के लिये जनगण शक्ति मंच सहित राज्य के तमाम माध्यमिक शिक्षकों की ओर से कोटि कोटि धन्यवाद दिया गया है