झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

लगती नीयत काली साहिब

लगती नीयत काली साहिब
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तेरी बात निराली साहिब
लगती नीयत काली साहिब

हो विभेद भाई भाई में
क्या तरकीब निकाली साहिब

चश्मा जरा उतारो, देखो
लोगों की बदहाली साहिब

छीन रहे हैं कौन लोग के
नित आगे से थाली साहिब

तय करना मुश्किल खबरों से
क्या असली क्या जाली साहिब

जरा समर्थक को समझाओ
मत बांटे वो गाली साहिब

प्रजा सुमन है आस लगाए
लाओगे खुशहाली साहिब

श्यामल सुमन