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लॉकडाउन के कारण मुरझाया फूलों का कारोबार जमशेदपुर में बाजार का हाल

लॉकडाउन के कारण मुरझाया फूलों का कारोबार जमशेदपुर में बाजार का हाल

बड़े उद्योग से लेकर छोटे व्यवसायों पर लॉकडाउन का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. जमशेदपुर में व्यवसाय के क्षेत्र में फूलों के बाजार पर कोरोना के लॉकडाउन का भारी असर पड़ा है. लाखों का कारोबार करने वाले फूल व्यापारियों का कारोबार आज एक चौथाई पर आकर सिमट गया है.
जमशेदपुर: शहर में फूलों का बाजार तबाही के कगार पर पर है. लॉकडाउन के कारण अधिकांश ट्रेनों का परिचालन बंद है. जिसके कारण बाहर से फूल नहीं आ रहा है जबकि प. बंगाल और बेंगलुरु से फूल का सबसे ज्यादा कारोबार होता है. वर्तमान में सड़क मार्ग से बंगाल से फूल मंगाए जा रहे हैं. कम वैरायटी के फूल आ रहे हैं. फूलों की कमी के कारण फूल दुकानों में थोड़े मात्रा में फूल दिख रहे हैं. आकर्षक रंग-बिरंगी खुशबू वाले फूलों की खुशबू बाजार से गायब हैं. जिससे फूल के कारोबारी के दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है.
कोरोनाकाल में फूलों की खेती करने वाले किसानों और दुकानदारों के चेहरे मुरझाए नहीं मिल रहे खरीददार फूल के दुकानों में ग्राहकों का है इंतज़ार बुके और माला बनाने वाले कारीगरों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली है. बाजार पूरी तरह मंदा होने के कारण फूलों की कई दुकानें बंद हो गईं हैं. कई कारीगर काम के अभाव में अपने गांव चले गए हैं. दुकानों में ग्राहक के आने की उम्मीद पर कुछ कारीगर फूलों का बुके बनाने में व्यस्त हैं. जमशेदपुर में फूलों का थोक विक्रेताओं की संख्या लगभग दस के करीब है. जबकि तीन सौ से ज्यादा खुदरा दुकानदार हैं. कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार के गाइडलाइन के कारण शादी विवाह, जन्मदिन या किसी भी पर्व त्योहार के अलावा पूजा पाठ में फूलों की बिक्री नहीं है.
फूल कारोबारी थोक विक्रेता मो. शमशेर बताते हैं कि बाजार पूरी तरह से मंदा है. किसी भी आयोजन में मिलने वाला ऑर्डर बंद है. सामान्य दिनों में जमशेदपुर में प्रतिदिन पांच लाख का फूलों का कारोबार होता था. एक थोक विक्रेता पचास से साठ हजार का कारोबार करता था. वर्तमान में पन्द्रह से बीस हजार के लगभग कारोबार हो रहा है. अंतिम संस्कार के लिए फूलों की खरीदरारी ज्यादा है. हालात को देखते हुए कम माल मंगा रहे हैं. लॉकडाउन के कारण बाजार जल्द बंद होने के कारण फूल नहीं बिकने पर खराब भी हो जाता है. जिससे नुकसान हो रहा है.
लग्न में फूलों की मांग ज्यादा होती थी. जबकि मंदिरों में प्रतिदिन फूल की खपत है. इन दिनों मंदिरों में श्रद्धालुओं के जाने पर रोक है. मंदिर बंद हैं, जिसका असर फूल बाजारों पर पड़ा है. थोक विक्रेता राधेश्याम बताते हैं कि वर्तमान में स्टाफ पेमेंट निकालना भी मुश्किल हो गया है. महाजन का कर्ज भी बढ़ता जा रहा है.
वहीं, बड़े शहरों में फूलों की होम डिलीवरी करने वाले दुकानदार मो. तबरेज का कारोबार बंद होने के कगार पर है. उनका कहना है कि प्रतिदिन दस से पंद्रह हजार का कारोबार होता था लेकिन कोरोना के कारण लोग अब होम डिलीवरी करवाना नहीं चाहते हैं. फूल भी कम मंगा रहे हैं. वर्तमान में तंग हाल में चल रहे हैं.
लॉकडाउन का सीधा असर छोटे-छोटे दुकानदारों पर भी पड़ा है. सामान्य दिनों में दिनभर एक से दो हजार की फूलों की बिक्री करने वाले शहाबुद्दीन बताते हैं कि क्या करें समझ में नहीं आ रहा है. अब दो सौ से तीन सौ ही कमा पा रहे हैं. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल होता जा रहा है.
बहरहाल, आर्थिक तंगी से जूझ रहे फूल के कारोबारी परिस्थिति बदलने के इंतजार में हैं. जिससे उनकी स्थिति बेहतर हो सके. इस कोरोना काल में स्थिति बदलने के लिए कोविड गाइडलाइन का सबको सख्ती से पालन करना होगा. जिससे जिंदगी सुरक्षित रहे और फूलों की खुश्बू बरकरार रहे.