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क्वॉरेंटाइन सेंटर में लोगों ने फिर किया हंगामा, की दोबारा कोविड-19 टेस्ट की मांग

सरायकेला के इंडो डेनिश टूल रूम संस्थान में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर के लोगों ने एक बार फिर बखेड़ा खड़ा कर दिया. लोगों का कहना है कि दस दिनों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लोगों का दोबारा जांच नहीं हो रहा है.

सरायकेला: जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत इंडो डेनिश टूल रूम संस्थान में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर के लोगों ने एक बार फिर कोविड-19 जांच धीमी होने पर बखेड़ा खड़ा कर दिया. लोगों का कहना है कि दस दिनों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लोगों का दोबारा जांच नहीं हो रहा है और लोग जबरन सेंटर में रहने को विवश है इंडो डेनिश टूल रूम क्वॉरेंटाइन सेंटर में शुक्रवार सुबह जैसे ही लोगों को नाश्ता उपलब्ध कराया गया. लोगों ने विरोध जताते हुए एक बार फिर भूख हड़ताल की घोषणा किए जाने के साथ भोजन का बहिष्कार किया और जमकर हंगामा किया. इलाजरत लोगों ने स्वास्थ्य महकमे पर गंभीर आरोप लगाए. लोगों ने कहा कि दस दिन बीत जाने के बाद भी लोगों का दोबारा कोविड-19 जांच नहीं हो रहा है. ऐसे में स्वस्थ होने के बावजूद लोग मजबूरन क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने को विवश हैं. हंगामे की सूचना मिलने पर गम्हरिया प्रखंड के सीओ सह इंसिडेंट कमांडर धनंजय राय क्वॉरेंटाइन सेंटर पहुंचे और लोगों को समझाया. इंसीडेंट कमांडर के आश्वासन के बाद इलाजरत लोग माने.
क्वॉरेंटाइन सेंटर से निकलने के बाद इंसिडेंट कमांडर धनंजय राय ने पत्रकारों को कुछ भी बताने से इनकार किया.
मामले की जानकारी होने पर सिविल सर्जन से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि पूरे जिले भर में कोविड-19 जांच अभियान चल रहा है. ऐसे में स्पेशल ड्राइव चलाए जाने से भी अधिक से अधिक संख्या में रोजाना टेस्ट हो रहे हैं, जबकि सीमित संसाधन के बीच जांच रिपोर्ट रोजाना दिए जा रहे हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटर के लोगों की ओर से बखेड़ा किए जाने के मुद्दे पर सिविल सर्जन ने दो टूक जवाब दिया है कि सेंटर में रह रहे लोग अगर हंगामा करेंगे तो, उन पर अब कार्रवाई की जाएगी
इंडो डेनिश टूल रूम क्वॉरेंटाइन सेंटर में इलाजरत लोग यहां के व्यवस्था से खासा नाराज हैं. लोगों ने बताया कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में अव्यवस्था का आलम बना हुआ है. सेंटर में साफ-सफाई की भी समुचित व्यवस्था नहीं है, जबकि ये लोग जिस दिन से सेंटर में आए हैं, उस दिन से एक बार भी चादर तक नहीं बदले गए हैं और जो लोग इलाज करा कर चले गए उनके बिस्तर की चादर, तकिए के खोल और मच्छरदानी फेंके हुए हैं. ऐसे में और महामारी बढ़ने का खतरा बना हुआ है.